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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उन मुसलमान लेखकों और वक्ताओंसे, जिनके बारेमें मेरे पास उक्त पत्र आये हैं, मैं यह कहना चाहता हूँ कि अपने प्रतिपक्षीको मनचाही गालियाँ देकर वे न तो अपनी कीर्ति बढ़ाते हैं और न अपने धर्मकी । आर्यसमाजको और समाजियोंको गालियाँ देकर वे न तो अपना कुछ फायदा कर सकते हैं और न इस्लामकी ही खिदमत कर सकते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १०-७-१९२४

१९०. जेलके अनुभव -- १०

कुछ कैदी वार्डर (२)

अदन सोमालीलँडका एक जवान सिपाही था और महायुद्धके दिनोंमें ब्रिटिश सेनाको छोड़कर चले जानेके अपराधमें उसे दस वर्षकी कड़ी सजा हुई थी । अदन-जेलके अधिकारियोंने उसे बदलकर यहाँ भेज दिया था । हम यरवदा गये तब वह अपनी सजाके चार साल काट चुका था । उसे निरक्षर ही कहना चाहिए। वह 'कुरान' मुश्किलसे पढ़ पाता था, परन्तु उसकी सही-सही नकल नहीं कर पाता था । उर्दू वह ठीक, काफी अच्छी तरह बोल लेता था और उर्दू पढ़नेको उत्सुक भी रहता था । सुपरिटेंडेंटकी इजाजत लेकर मैं उसे पढ़ाने लगा। परन्तु वर्णमाला ही उसे बहुत मुश्किल लगी और उसने पढ़ना छोड़ दिया। फिर भी अदन था बड़ा समझदार और कुशाग्र बुद्धिका मनुष्य । उसकी सबसे ज्यादा दिलचस्पी धार्मिक बातों में थी। वह पक्का मुसलमान था; पाँचों नमाजें नियमपूर्वक पढ़ता, आधी रातकी नमाज भी। वह रमजान के महीने में कभी रोजा न चूकता। तसबीह आठों पहर उसके साथ रहती, फुरसत होती तब वह 'कुरान शरीफ' में से आयतें पढ़ता। अकसर मेरे साथ हिन्दुओं में प्रचलित निराहार उपवासोंपर चर्चा करता । अहिंसाके बारेमें वाद-विवाद करता। वह् बहादुर आदमी था । बहुत शिष्ट था परन्तु किसीकी खुशामद या चिरौरी कभी नहीं करता था । मिजाज उसका जरा गरम था, इसलिए अकसर बरदासियों या दूसरे वार्डरोंके साथ लड़ पड़ता । इस प्रकार हमें कभी-कभी उनके झगड़े निपटाने पड़ते । स्वभावसे सिपाही और सही बातको माननेके लिए तैयार होनेके कारण वह ऐसे अवसरोंपर दिया गया फैसला स्वीकार कर लेता था । परन्तु वह अपना पक्ष निर्भीकताके साथ और दलीलें देते हुए पेश कर सकता था । अदन ही सब वार्डरोंमें हमारे पास सबसे ज्यादा रहा। उसके प्रेमकी मुझे हमेशा याद आयेगी । मेरी देखभालमें उसने कोई कसर नहीं रखी। मुझे मेरी खुराक ठीक समयपर नियमित रूपसे मिल जाये इस बारेमें वह बहुत खबरदार रहता । यदि मैं कभी बीमार हो जाऊँ तो वह उदास हो जाता। मेरी जरूरतकी चीजोंका वह हमेशा खयाल रखता । मुझे खुद थोड़ी भी मेहनत करने नहीं देता । छूट जाने या कुछ नहीं तो वापस अदनकी जेल