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१९२. एकमात्र कार्यक्रम

मित्रोंने मुझे एक ही ऐसा व्यापक कार्यक्रम सुझानेको कहा है जिसमें राजे-महा-राजे, अपरिवर्तनवादी, परिवर्तनवादी, उदारदलवाले, स्वतन्त्र पक्षवाले, वकालत करने-वाले वकील, ऐंग्लो-इंडियन और दूसरे सभी बिला पशोपेशके शामिल हो सकें। मुझे इस शर्त के साथ यह कार्यक्रम सुझाने को कहा गया है कि स्वराज्य पानेके लिए उसे पुरअसर और शीघ्र फलदायी होना चाहिए। सबसे कारगर और तेजीका कार्यक्रम जो मैं सुझा सकता हूँ, वह है -- खादी अपनाना, उसको संगठित करना, हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य बढ़ाना और हिन्दुओंका अपने बीचसे अस्पृश्यता-निवारण करना । मेरा यह पक्का विश्वास है -- जो बदल नहीं सकता--कि यदि हम इन तीन बातोंको हासिल कर लें तो हम जरा-सी भी मुश्किलके बिना स्वराज्य स्थापित कर सकेंगे और मेरा यह भी विश्वास है कि यदि सभी पक्ष दिलोजानसे इस कार्यक्रममें जुट जायें तो यह एक ही वर्ष में मिल सकता है। खादीकी सफलताके मानी होंगे विदेशी कपड़ोंका बहिष्कार । जितना कपड़ा हिन्दुस्तानको चाहिए उतना कपड़ा तैयार करना हिन्दुस्तानका हक है और फर्ज भी। इसके लिए उसके पास साधन भी मौजूद हैं। विदेशी कपड़ेका बहिष्कार अंग्रेजोंके मनको अपने-आप पवित्र कर देगा और हिन्दुस्तानी चीजोंको हिन्दुस्तानियोंकी दृष्टिसे देखनेमें जो बहुत बड़ी बाधा उन्हें मालूम होती है वह भी दूर हो जायेगी ।

इसलिए अगर लगभग पूरा देश इस त्रिसूत्री कार्यक्रमको अख्तियार करनेके लिए तैयार है तो मैं एक सालके लिए असहयोगके कार्यक्रम और सविनय अवज्ञाको मुल्तवी रखनेकी राय देनेके लिए तैयार हूँ । मैं एक साल इसलिए कहता हूँ कि यदि ईमानदारी से इस कार्यक्रमके अनुसार काम किया जाये तो इसी अरसेमें विदेशी कपड़ेका लगभग पूर्ण बहिष्कार हुए बिना नहीं रहेगा ।

मुझे यह कहने की जरूरत नहीं कि स्वराज्यवादियोंका इस कार्य में सहयोग देना ही इस बात के लिए काफी नहीं है कि असहयोग या सविनय अवज्ञाकी तैयारियोंको एक साल तकके लिए मुल्तवी कर दिया जाये । वे तो राजी ही हैं। कांग्रेस के दूसरे सदस्योंकी तरह वे भी सम्पूर्ण रचनात्मक कार्यक्रमके लिए वचनबद्ध हैं। जबतक सरकारका हृदय-परिवर्तन नहीं होता तबतक असहयोगकी जरूरत है और बिना इस परिवर्तन के जो लोग कांग्रेसके बाहर हैं वे खुले तौरपर सरगर्मी से इस काम में हाथ नहीं बँटायेंगे ।

मुझे भय है कि अभी वह समय नहीं आया है कि सरकार या वे लोग जिनकी इज्जत या ओहदे सरकारसे मिलनेवाले संरक्षणपर आधारित हैं, इस प्रकार लोगोंके साथ सच्चे-दिलसे सहयोग करने को तैयार हो जायें ।

मैं यह भी जानता हूँ कि लोगोंकी एक बहुत बड़ी तादाद अबतक शुद्ध खादी के कार्यक्रमकी कायल नहीं हुई है । वे चरखेकी महान् शक्तिपर विश्वास ही नहीं करते । वे हिन्दुस्तानी मिलों के खिलाफ कार्रवाई करने की साजिशका मुझपर सन्देह करते हैं ।