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एकमात्र कार्यक्रम

चरखे के सन्देशसे क्या मतलब है इसे अपने मनमें उतारनेकी तकलीफ थोड़े ही लोग उठाते हैं।

यदि चरखेको माननेवालोंकी चरखेके प्रति सच्ची निष्ठा हो तो मुझे जरा भी शक नहीं कि देश चरखेको बहुत ही जल्दी मानने लगेगा। लेकिन मेरे कुछ मित्र मुझसे कहते हैं कि मेरा निदान सही नहीं है । वे कहते हैं कि यदि मैं असहयोग और सविनय अवज्ञाको छोड़ दूँ तो सबके सब चरखेको अपना लेंगे और मेरा यह सोचना कि सरकार हिन्दू और मुसलमानोंको लड़ाना चाहती है, एक हिमाकत है । मैं तो चाहता हूँ कि मेरा शक गलत निकले ।

मिलोंके बारेमें मैं फिर एक बार अपने विचारोंका खुलासा कर दूं । मैं उनका दुश्मन नहीं हूँ। मैं मानता हूँ कि हमारे जीवनमें अभी कुछ समय तक उनकी उपयोगिता है। मिलोंकी मददके बिना विदेशी कपड़ेका बहिष्कार शायद जल्दी सफल न हो सकेगा। लेकिन यदि वे इसमें सहायता करना चाहती हैं तो उन्हें सिर्फ शेयर होल्डरों और एजेन्टोंके लाभके लिए ही नहीं चलाया जाना चाहिए, बल्कि समूचे देश हितको दृष्टिमें रखकर । फिर भी हमारे कार्यक्रमसे तो मिलोंको अलग ही रखना पड़ेगा; क्योंकि खादीको अपनी स्थिति दृढ़ बनानी है । सात लाख गाँवोंमें से अभी एक गाँवतक भी खादीका सन्देश नहीं पहुँचाया जा सका है। अभी हिन्दुस्तानका से भी कुछ अधिक भाग मिलोंके लिए खुला पड़ा है। यदि खादीको स्थायी जगह देनी है तो कांग्रेसके लोगोंको मिलोंके कपड़े छोड़कर खादीका ही इस्तेमाल करना चाहिए और उसे लोगोंमें फैलाना चाहिए । देशभक्त मिल-मालिक मेरे प्रस्तावकी उपयोगिता, आवश्यकता और न्यायानुकूलता एक ही नजरमें समझ सकते हैं । सचमुच वे अपनेको नुकसान पहुँचाये बिना ही खादीकी सहायता कर सकते हैं । यदि ऐसा समय आये जब सारा हिन्दुस्तान खादीको स्वीकार कर ले तब उन्हें भी राष्ट्रके साथ आनन्द मनाना चाहिए और उनको अपनी पूँजी और मशीनोंकी कोई और उपयोगिता सूझ ही जायेगी, जैसे कि लंकाशायरके मिलमालिकोंको भी किसी दिन करना पड़ेगा और करना भी चाहिए। आग्रही मित्रोंके सन्तोषके लिए मैंने एक व्यापक कार्यक्रमकी रूपरेखा तैयार की है। लेकिन मैं कार्यकर्त्ताओंको सावधान करता हूँ कि वे अपने और अपने पड़ोसी के कातने के कामको अपना आजका काम मानें और उस ओर से अपना ध्यान जरा भी न हटने दें। यदि सभी लोग आज इसको माननेके लिए तैयार न भी हों तो उनकी कताई और निष्ठाके फलस्वरूप वह दिन जल्दी आ जायेगा और वह आयेगा जरूर। किस दिन आयेगा इसका दारमदार तो उन लोगोंपर है जिन्हें उसमें जीवन्त निष्ठा है और जिन्होंने भारीसे भारी मुश्किलोंके बीच भी अपने आचरणके द्वारा उसे सिद्ध कर दिखाया है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १०-७-१९२४
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