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पत्र : वसुमती पण्डितको

महात्माजीने एक प्रश्नके उत्तरमें कहा कि कांग्रेसके प्रतिनिधियोंके काते हुए सूतसे बुनी खादीका जनताके मनोभावोंपर इतना असर पड़ेगा, जितना किसी अन्य बातका नहीं पड़ सकता ।

एक दूसरे प्रश्न के उत्तरमें उन्होंने कहा कि जो लोग 'यंग इंडिया' में प्रकाशित कार्यक्रमपर अमल करना चाहते हैं वे सबसे पहले इस बातकी खातरी कर लें कि वे सब लोग इस सम्बन्धमें एकमत हो गये हैं । यदि इसमें सफलता नहीं मिलती तो उन्हें कांग्रेस संगठनके बाहर रहकर इसपर अमल करना चाहिए।

[ अंग्रेजीसे ]
हिन्दू, १२-७-१९२४

१९६. पत्र : वसुमती पण्डितको

साबरमती
आषाढ़ सुदी ११ [१२ जुलाई, १९२४ ][१]

चि० वसुमती,

तुम्हारा कार्ड मिला। बरसात न होनेके कारण बहुत कष्ट हो रहा है, पानी बरसने के लक्षण दिखाई देते हैं; परन्तु बरसता नहीं है । नदीमें पानी चढ़ आया है; ऐसा लगता है कि ऊपर बारिश हुई है। राधा अभी अशक्त है । पेरीन बहन और नरगिस बहन यहाँ आई थीं । वे जमना बह्नके साथ वापस [ बम्बई] चली गई हैं। अब जो बहन सेवासदनमें व्यवस्थापिका थीं वही यहाँ हैं । तुम जितने दिन वहाँ रहना चाहो उतने दिन रहो। मुझे उम्मीद है कि जिस पत्रमें[२] मैंने कुछ हिदायतें लिखी थीं वह तुम्हें मिल गया होगा ।

बापूके आशीर्वाद

वसुमती बहन,
मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू ० ४४९) से।
सौजन्य : वसुमती पण्डित
  1. १. डाकखानेकी मुहर में तारीख १३ जुलाई १९२४ है ।
  2. २. देखिए “पत्र : वसुमती पण्डितको", ११-७-१९२४ ।