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२११. मिलोंकी हिमायत

एक महाशय लिखते हैं :

आपकी राय में स्वराज्य हासिल करनेका सबसे बढ़िया साधन चरखा है। आपके उच्च आदर्श और स्वार्थत्यागसे इनकार नहीं किया जा सकता । पर यह समझ में नहीं आता कि आप यह क्यों नहीं सोचते कि खादीका घर-घर में प्रचार करके आप अनेक मिलवालोंको और उनसे भी बढ़कर उन व्यक्तियोंको जिनके मिलोंमें शेयर हैं, बड़े घाटे में और घोर संकटमें डाल देंगे ? मिलवालोंने मिलोंमें लाखों रुपया लगाया है और शेयर खरीदनेवालोंने -- जिनमें से कितनोंको ही रोटीके लाले पड़े हैं -- मिलोंकी समृद्धि देखकर अपनी सारी जमा-पूंजी शेयरोंमें इसलिए डाल दी है कि उससे प्राप्त होनेवाले खासे मुनाफेसे निर्वाहका एक सुविधाजनक साधन मिल जायेगा। इसका फल यह होगा कि उन निचली श्रेणीके लोगोंकी हालत सुधारनेकी आशा में, जिन्हें अपनी इज्जत आबरूका कुछ भी खयाल नहीं होता और जो किसी भी उपायसे अपना पेट पाल सकते हैं, आप उतने ही बल्कि उससे भी अधिक मध्यम श्रेणीके लोगोंको बरबाद कर देंगे ।

२. आप तो ऐसे महात्मा हैं जिनका सारी मानवताके प्रति अत्यन्त ही निःस्वार्थपूर्ण और सहानुभूतिपूर्ण भाव है । इसलिए आपको तो सभीके साथ ठीक न्याय ही करना चाहिए और इसलिए अपने पूरे बुद्धिबलका प्रयोग कीजिए और कोई ऐसा मध्यम मार्ग निकालिए जिससे एकको नुकसान पहुँचाकर दूसरेका लाभ न हो -- चरखेको भी एक हद तक ही बढ़ावा दीजिए, पर दूसरी ओर मिलवालों और शेयर रखनेवालोंकी बहुसंख्याको भी मदद देनी चाहिए।

३. आप विदेशी कपड़ेका बहिष्कार बेशक कीजिए, परन्तु खादी और मिलका कपड़ा दोनों में से किसीका इस्तेमाल करनेकी छूट दे दीजिए। इससे आप अनेक उच्च और मध्यम वर्गके लोगोंके सहायक बनेंगे ।

यह पत्र शोचनीय है । मनमें यह उठने लगता है कि यदि लेखकके तमाम अन्देश सच हो जायें तो क्या ही अच्छा हो। क्योंकि उसी अवस्थामें ये महाशय समझ सकेंगे कि मिलों और शेयर रखनेवालोंकी बरबादीकी घड़ी ही खुद उनके तथा भारतवर्षकी मुक्तिकी घड़ी है। ऐसा होनेपर वे यह भी देखेंगे कि हिन्दुस्तानकी धमनियोंमें नया खून बह रहा है और मध्यमवर्ग आज भूखों मरनेवाले किसानों की कीमत पर जीने के बजाय सुखी और समृद्ध किसानों के साथ सहयोग करते हुए अपना निर्वाह कर रहा है। ये किसान लोग खुशी-खुशी उन चीजोंको, जिन्हें वे पैदा नहीं, कर सकते पर जिनकी उन्हें जरूरत तो रहती है, अपनी पैदा की हुई चीजके बदले में ले लेंगे। थोड़ा विचार करनेसे ही पूर्वोक्त पत्र लेखक समझ जायेंगे कि चरखेका