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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपना लेंगी और जब खादीको अपना शृंगार बना लेंगी तब मैं मान लूंगा कि मुझे सब-कुछ मिल गया । तब मैं इस भाईको धोती और पट्टीदार कुरता भी पहनकर सन्तुष्ट करूँगा, क्योंकि बहनोंपर खादीका रंग चढ़ जानेपर में स्वराज्यको मिला ही समझता हूँ। लेकिन इस दरम्यान इस भाईको मुझपर और मुझ-जैसे लँगोटी पहनने-वालोंपर दया रखनी चाहिए और लँगोटीको असभ्यताका चिह्न मानते हुए भी उन्हें अपना भाई समझकर उनकी असभ्यताको सह लेना चाहिए ।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, २७-७-१९२४

२४४. एक टेक

" एक टेक " इन शब्दों का प्रयोग सर्व-प्रथम सन् १९१७में[१] मिल-मजदूरोंकी हड़ताल के समय किया गया था। मजदूर इन शब्दोंसे अंकित पताकाएँ लेकर घूमते-घूमते थक गये थे और संघर्ष बन्द करनेकी स्थितिमें आ गये थे। लेकिन भगवानने उनकी लाज रख ली और समझौता हो गया। लेकिन में यहाँ उस हड़तालका इति-हास लिखने नहीं बैठा हूँ ।

मैं तो गुजरातको उसकी टेककी याद दिलाना चाहता हूँ और ऐसे समय उन मजदूरोंकी टेकका उदाहरण भर दे रहा हूँ । हमने अबतक स्वराज्यकी प्राप्तिके लिए जो कदम उठाये हैं उनमें हमारा जोर सामुदायिक कार्यपर रहा है। इसलिए किसी भी मनुष्यको अपने उत्तरदायित्वकी पूरी कल्पना नहीं थी । चार आने दे देने-भरसे कांग्रेसके प्रति हमारा कर्त्तव्य पूरा हो गया, ऐसा कहा जा सकता था । किन्तु अब स्थिति बदल गई है। अब तो प्रत्येक मनुष्यको स्वराज्यके निमित्त आधा घंटा प्रतिदिन देना होगा। कांग्रेसका प्रस्ताव-मात्र निर्वाचित अधिकारियोंपर ही लागू होता है, ऐसा कोई न माने । यह प्रस्ताव उनके लिए आदेश रूप है; लेकिन उसका असर तो प्रत्येक समझदार और देशहितैषी भारतीयपर पड़ना चाहिए। प्रत्येक स्त्री, पुरुष और बालकका धर्म देशकी खातिर सूत कातनेमें आधा घंटा देना है । यह कांग्रेसकी सानुरोध प्रार्थना है । हम इसे स्वीकार करेंगे, यह सबकी टेक होनी चाहिए।

चाहे जैसा सूत कातनेसे काम नहीं चलेगा; बल्कि वह अच्छा, बटदार और एकसार होना चाहिए। उसकी किस्ममें दिन-प्रतिदिन सुधार होना चाहिए ।

पैँसा देकर छूट जाना आसान था । भाषण करना उससे भी आसान था । दूसरोंके नाम दर्ज करना भी अपेक्षाकृत सहल था । फिर भी बिना चूके नियमपूर्वक जनताके हित में ईमानदारी से आधा घंटेका श्रम देना मुश्किल जान पड़ता है। लेकिन यदि हम अच्छी तरहसे विचार करें तो यह सबसे अधिक आसान काम है। क्योंकि इसमें समयका व्यर्थ अपव्यय नहीं है। भाग-दौड़ तो इसमें हो ही क्या सकती है ? इसमें

  1. १. अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल १९१८ में हुई थी; देखिए खण्ड १४ ।