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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बारेमें आपको जब भी मुझसे कुछ कहना जरूरी लगे, आप अवश्य लिखें; मेरा आपसे यह अनुरोध है । मैंने मुहम्मद अलीको आपको जवाब भेज देनेके लिए लिख दिया है।[१] मैंने अपने जवाबोंकी एक प्रति भी उन्हें भेज दी है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई

२५६. पत्र : शौकत अलीको

साबरमती
२७ जुलाई, १९२४

प्रिय भाई,

इटारसी से आपका तार मिला था । मुहम्मद अली दिल्ली में हैं, यह जानकर खुशी हुई। मैंने उन्हें तार[२] भेजा है कि कांग्रेस अध्यक्षके नाते वे मामले की तहकीकात करके एक प्रारम्भिक रिपोर्ट प्रकाशित करें। हकीमजीने तारसे सूचित किया है कि खबरें बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दी जा रही हैं । जो भी हो, मामलेको व्यावहारिक ढंगसे हल कर सकें तो बहुत सारी मुसीबतोंसे बचा जा सकता है । मैं खुद वहाँ जल्दी पहुँचनेकी फिक्रमें हूँ । पर यह शरीर की कमजोरी आड़े आ रही है। लेकिन, अकसर मुझे लगता है कि जैसे बने वहाँ जाकर मुहम्मद अलीके काममें हाथ बँटाना चाहिए। फिर भी, जबतक उस ओरसे स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, मैं अपनेको रोके हुए हूँ ।

आप मुझे बेलगाँव कांग्रेसका अध्यक्ष क्यों बनाना चाहते हैं? मैं अध्यक्ष होऊँ या न होऊँ, यह तो निश्चित है कि प्रतिनिधियों और कांग्रेसकी कार्यवाहीपर मेरा असर पड़ेगा। अगर मैं देशसे हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा चरखेको राष्ट्रीय-निष्ठाके रूपमें स्वीकार नहीं करा सका तो मेरी कोई उपयोगिता नहीं रह जायेगी । अगर आगामी महीनों में कताईके सम्बन्धमें हम जैसी आशा करते हैं वैसी अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं होती, और अगर हम हिन्दुओं और मुसलमानोंको एक-दूसरेके और पास नहीं ला पाते तो अध्यक्ष के रूपमें बेलगांवमें मैं क्या कर सकूँगा ? यदि दृढ़ और कृत-संकल्प

  1. १. देखिए " पत्र : मुहम्मद अलीको ", २७-७-१९२४ ।
  2. २. यह तार उपलब्ध नहीं है।