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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुझसे स्नेहपूर्वक यह आग्रह किया था कि मुझे फिर तीन बार भोजन शुरू कर देना चाहिए और अपने भोजनकी मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए तब मैंने उनसे विनोदमें कहा था, मैं ऐसा तब करूँगा जब लोग हिन्दू-मुस्लिम एकता पुनः स्थापित कर लेंगे और खद्दरको लोकप्रिय बना लेंगे । अतः उन्होंने मेरे द्वारा की गई भोजनकी कमीका जो उल्लेख किया है उसका कारण यही है कि उन्होंने या तो यह मैत्रीपूर्ण छूट ली है या फिर मेरे विनोदको सच समझ लिया था। जो भी हो, में इन दोनोंही अव- स्थाओंमें प्रश्नकर्त्तासे सहमत हूँ कि उन्हें मेरी निजी आदतों अथवा संयम-नियमोंका उल्लेख करनेकी आवश्यकता नहीं थी । हिन्दू-मुस्लिम एकता और खादी, दोनों ही प्रश्नोंका निर्णय उनके गुण-दोष के आधारपर किया जाना चाहिए। दोनों ही राष्ट्रके अस्तित्व के लिए नितान्त आवश्यक हैं, और हम तभी सफल होंगे जब हम राष्ट्रका मत अपने पक्षमें कर लेंगे।

"गांधीजीके लिए या देशके लिए ?"

एक मित्रने ऐसा कुछ लिखा है कि 'गांधीजीकी खातिर' सूत कातो, यह कहकर छात्रोंको सूत कातने के लिए प्रेरित करनेकी प्रथा-सी बन गई है। उसने मुझसे पूछा है कि क्या यह उचित है ? जबतक मैं देशके लिए और केवल देशके लिए कार्य करता हूँ तबतक कुछ खास परिस्थितियोंमें इस प्रकारकी अपील अनुचित नहीं है । मेरी खातिर सूत कातनेकी अपील 'देशके लिए' सूत कातनेकी अपीलसे अधिक सीधा असर कर सकती है। फिर भी इसमें कोई शक नहीं कि सबको केवल देशके लिए सूत कातना चाहिए। यदि इसका और भी उदात्त अर्थ लें तो यह कहना अधिक ठीक होगा कि प्रत्येक व्यक्तिको अपने लिए सूत कातना उचित है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति देशके लिए जो कार्य करता है, अपने लिए भी करता है। जो सिर्फ अपने लिए कार्य करता है वह अपने नाशकी तैयारी करता है। हमारा लाभ और देशका लाभ बिलकुल एक होना चाहिए और हमारे लाभका अस्तित्व देशके लाभमें विलीन हो जाना चाहिए। किन्तु जो लोग केवल अवसर विशेषपर, दिखावेके लिए सूत कातते हैं, अन्यथा कातते ही नहीं वे बेईमानीका आचरण करते हैं ।

मैदान में सबसे आगे

अ० भा० खादी बोर्डको कताई सम्बन्धी प्रस्तावपर अमल किये जानेका प्रमाण मिलना प्रारम्भ हो गया है। कुछ लोगोंकी तात्कालिक अनुकूल प्रतिक्रियाका कारण 'स्पष्ट' है । जिन्हें रफ्त है वे प्रतिदिन आधे घण्टे में १५० गज सूत आसानीसे कात सकते हैं । यह प्रति घंटा ३०० गज औसत गति हुई। ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने अपना दाय पूरा भी कर लिया है। अबतक अधिकतम गति ५०० गज प्रति घंटा आई है।

श्रीमती अवन्तिकाबाई[१] और उनकी सहेलियाँ सूत भेजनेवालोंमें प्रथम हैं। इनमें से अधिकतर कांग्रेसकी सदस्याएँ नहीं हैं। वे कांग्रेसकी किसी कार्यकारी संस्थामें भी नहीं हैं । किन्तु मैंने इन पृष्ठोंमें कहा है कि प्रत्येक भारतीय स्त्री-पुरूष,चाहे

  1. १. अवन्तिकाबाई गोखले ।