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वह किसी दलसे सम्बद्ध हो, कर्त्तव्य है कि वह अपने सूतका भाग अ० भा० खादी बोर्डको भेजे । अतः मैं इन महिलाओंको उनकी भेंटके लिए बधाई देता हूँ । यह स्वाभाविक है कि वे अपने सूतकी किस्म के बारेमें विशेषज्ञोंकी राय जानना चाहेंगी। जहाँतक सूतकी किस्मका सवाल है, वह उत्तम है। किन्तु गुंडियाँ आदि बनानेका ढंग जैसा होना चाहिए वैसा नहीं है और यह स्वाभाविक ही है। सूतकी परीक्षा और उसके वर्गीकरणमें एक घंटेसे ज्यादा समय लगाना पड़ा। इस एक पुलिन्देकी जाँचकरनेके फलस्वरूप मन्त्री महोदयने कातनेवालोंके ध्यान देनेके लिए मेरे पास निम्न विशिष्ट हिदायतें भेजी हैं :

(१) प्रत्येक कातनेवाले स्त्री अथवा पुरुषको अपनी गुंडीपर नामकी चिट लगानी चाहिए और उसपर निम्न सूचनाएँ देनी चाहिए :
(अ) गुंडीके तारोंकी लम्बाई और संख्या ।
(ब) वजन, तोलोंमें ।
(स) सूतका अंक जो हिसाब लगाने के बाद निकले। ये चिटें उस मुख्य चिटके अतिरिक्त होंगी जिसपर कातनेवालेके नाम आदिका ब्योरा रहेगा ।


(२) सब गुंडियाँ आकार-प्रकारमें समान हों।
(३) प्रत्येक गुंडीमें दो या अधिक अलग-अलग दीख पड़नेवाली लच्छियाँ हों इसके लिए गुंडीमें ८० या १०० या इससे भी अधिक तारोंकी लच्छियाँ बनाकर उनके बीचसे एक मजबूत सुतली निकाल देनी चाहिए और उसमें प्रत्येक लच्छीके बाद अंटी डाल दी जानी चाहिए ।


(४) यह अच्छा होगा कि कपासकी जिस किस्मका उपयोग किया गया हो, उसका नाम बंडलके साथ लगी चिटपर लिख दिया जाये । इससे सूत संग्रहकर्ताको विभिन्न प्रान्तों में काममें लाई जानेवाली कपासकी किस्में जाननेका, तथा किस किस्मसे कितने अंकका सूत काता जाये, यह सलाह देनेका अवसर प्राप्त होगा ।

बम्बई, तथा अन्य स्थानोंमें भी मिलोंकी बनी पूनियोंका उपयोग करनेकी प्रथा रही है। मिलोंकी पूनियोंसे काता हुआ सूत हमारे उद्देश्यकी दृष्टिसे बिलकुल बेकार होता है। उद्देश्य है, कपास सम्बन्धी सभी प्रक्रियाओंको जनताके बीच लोकप्रिय बनाना । मिलोंकी बनी पूनियों और मिलोंकी ओटी हुई रुईमें बहुत कम अन्तर है। यदि हम मिलोंकी बनी पूनियोंका उपयोग कर सकते हैं तो मिलोंके कते सूतका भी उपयोग कर सकते हैं ।

हाथकी कताईके पीछे मुख्य विचार है, एक ही सरल कुटीर उद्योग सुलभ करके लाखों लोगोंकी जेबोंमें पैसा डालना । अतः पूनियाँ हाथकी बनी होनी चाहिए । अटेरनके घेरेके प्रश्नका भी निर्णय हो जाना चाहिए। यह कहनेकी आवश्यकता नहीं कि सभी अटेरनें एक नापकी होनी चाहिए। यदि ऐसा न हो तो दिये गये सूतके परिमाणके आधारपर उसका अंक निकालना बहुत कठिन होगा । अनुभवसे ज्ञात हुआ है कि अटेरनका घेरा ४ फुटका होना उचित है । तब ३७५ तारोंकी ५०० गजकी एक लच्छी बनेगी। ऐसी चार लच्छियोंमें २,००० गज सूत होगा। यदि हमें वजन मालूम