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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हो तो ऐसी लच्छियोंका अंक निकाल लेना बेहद आसान होगा । तोलोंके वजनको इकन्नियों या अन्नियोंके रूपमें परिवर्तित कर दो और इन अन्नियों का भाग तारोंकी संख्या में दे दो । बस, अंक निकल आयेगा । यदि ३७५ तारोंकी एक लच्छीका वजन १५ अन्नियाँ हो तो अंक होगा ३७५/१५ = २५ । अटेरनके आधारके सम्बन्धमें भी कई सुझाव दिये गये हैं । अनुभवसे ४ फुटका घेरा ही ठीक जान पड़ता है । ये अटेरनें आश्रमके चरखोंमें ही हत्थे के पास लगी रहती हैं। इसमें निःसन्देह सुभीता है । किन्तु अटेरनें तो बाँसकी खपच्चियोंसे भी सहजमें बनाई जा सकती हैं। आवश्यक लम्बाईकी चारसे लेकर छः तक बाँसकी ऐसी खपच्चियाँ जिनके बीचमें छेद हों, ले लें । अब आधार के लिए एक अन्य खपच्ची लें और उसके सिरोंको पतला करके उसमें दोनों ओर तीन-तीन खपच्चियोंको फँसा दें। उनको यथास्थान रखनेके लिए डोरेसे बाँध दें। इससे कामचलाऊ अटेरन बन जाता है । चरखेके साथ जो उपकरण होते हैं वे भी चरखे के समान ही सादे होते हैं । अन्तमें, यह याद रखना ठीक होगा कि सूतपर पानी की बौछार मारनी चाहिए और फिर उसे अटेरनपर एक घंटे नमी दूर होनेतक बने रहने देना चाहिए। सूतपर इस प्रकार पानी डालनेसे सूतके बट पक्के हो जाते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ३१-७-१९२४

२६३. पत्र : श्रीमती वी० के० विलासिनीको

साबरमती
३१ जुलाई, १९२४

प्रिय बहन,

आपके प्रश्नका उत्तर :

सत्यको कदापि न छोड़े । यह तभी सम्भव है जब जो कुछ भी जीवित है[१] उससे प्रेम किया जाये और उसके प्रति हृदयमें संवेदना हो ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्रीमती वी० के० विलासिनी
हिल पैलेस
त्रिपुनितारा, कोचीन राज्य
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई
  1. १. पस्किचित् जगत्यां जगत् ।