पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/५४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१४
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

परन्तु हरएक सेवकको याद रखना चाहिए कि सच्ची सेवा करनेके लिए द्रव्यकी जरूरत नहीं होती । सच्ची सेवा तो वह कार्य है जो सच्चे दिलसे किया गया हो । स्नेहपूर्ण दृष्टि और समयपर कहा गया उचित शब्द जो सेवा करता है वह पैसा नहीं कर पाता । घरबारहीन हो जानेवाले स्त्री-पुरुषोंके पास जाना, उनकी शुश्रूषा करना, उन्हें अनेक प्रकारके छोटे-छोटे कामोंमें मदद देना और उन्हें अपनी उपस्थितिसे उत्साहित करना -- इसमें जो सहायता निहित है वह बेजोड़ है । ऐसी सहायता करने- वाले मूक स्वयंसेवक जितने मिलें उतने कम हैं । इस क्षेत्रमें सब लोग स्पर्द्धा कर सकते हैं और इसमें कोई किसीके आड़े नहीं आ सकता । अतः ऐसे समय में कांग्रेसका धनके अभाव में हारकर बैठ जाना वांछनीय नहीं होगा । मैंने ऐसा उत्तर मलाबारके मदद माँगनेवाले कांग्रेस सदस्योंको दिया है। जब मुझे उनका पहला तार मिला तब मैंने सोचा कि मुझे उनको कुछ धन एकत्र करके भेज देना चाहिए। मैंने एक मित्रसे सहायता माँगी। उन्होंने २५०) भेजे भी; परन्तु पीछे जब मैंने आसमान फटने की खबरें सुनीं तब मेरा हृदय काँप उठा । तब मैंने देख लिया कि यह काम मुझ जैसेकी शक्तिके बाहर है । यह कांग्रेसकी शक्तिके भी बाहर है। फिर भी यदि कोई सज्जन धन देंगे तो मैं उसे अवश्य कांग्रेसके अधिकारियोंको भेज दूंगा । मैं वाइकोमके सत्या-ग्रहके लिए तो बाहरसे रुपये-पैसे मँगानेके खिलाफ था, परन्तु मैं इस मामलेमें मदद पहुँचा सकूं तो मदद पहुँचाना अपना फर्ज समझता हूँ । यहाँ रुकावट असमर्थताके कारण है, अनिच्छाके कारण नहीं । जहाँ इच्छा तो चक्रवर्तीकी हो परन्तु सामथ्र्यं कंगालका हो वहाँ मौन रहनेमें ही विवेक है । मैंने यह समझकर ही कांग्रेसके स्थानीय अधिकारियोंको दूसरा तार भेजकर यह सलाह दी है कि वे मलाबारकी सेवा तनसे करें तथा सरकारी संस्थाकी मारफत जो कुछ सेवा हो सके वह भी करें और इसी में सन्तोष मानें।

[ गुजराती से ]
नवजीवन, ३-८-१९२४

२७३. टिप्पणियाँ

पूर्व आफ्रिकाका सत्याग्रह

पूर्व आफ्रिकामें रहनेवाले एक भाई लिखते हैं:[१]

ऐसा ही चित्रण एक अन्य भाईने भी किया है, इसलिए इसमें कुछ सत्य अवश्य होगा । जिस संघर्ष में थोड़ेसे लोग भी शुद्ध हृदयसे जेलमें गये हों, वह नितान्त निष्फल तो हो ही नहीं सकता। लेकिन जबतक अवांछित कानून रद नहीं किये जाते तब- तक लोगोंको तो संघर्ष निष्फल ही लगेगा । पत्रलेखकने इस असफलता के कारण ठीक बताये हैं। देशको ये कारण दूर करने ही होंगे । सत्याग्रह केवल सरकारको परेशान

  1. १. पत्र यहाँ नहीं दिया गया है।