पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/५५९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२८५. टिप्पणियाँ

एक कठिनाई

एक सज्जन हुबलीसे पत्र लिखते हैं :[१]

मेरे विचारमें ये सारी कठिनाइयाँ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रस्तावों को न समझने के कारण ही उत्पन्न हुई हैं। जिन नौ सज्जनोंने त्यागपत्र दिया है, उन्होंने निःसन्देह अच्छा काम किया है। यदि वे खिन्न होकर नहीं, सहज भावसे अलग हुए हैं तो वे पदाधिकारी न होनेपर भी सहायता करते रह सकते हैं और नये चुनाव कराने-में भी मदद दे सकते हैं, ताकि उचित योग्यता सम्पन्न लोग चुने जा सकें और यदि वे बहिष्कार में विश्वास नहीं करते तो स्वयं फिर चुने जाने के लिए खड़े हो जायें और साहसपूर्वक निर्वाचकोंको अपने विचारोंके पक्ष में लानेकी कोशिश करें तथा उनसे कहें कि हमें ही चुनिए । यदि हुबलीकी समिति सजीव संस्था है तो सारी स्थिति निर्वाचकों के हाथ में रहेगी । अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीका प्रस्तुत प्रस्ताव निर्वाचकों के पथ-प्रदर्शन के उद्देश्य से पास किया गया है, न कि अपनी पसन्द के लोगों को चुननेमें बाधा डालनेके उद्देश्यसे। उन्हें ऐसे लोगोंको चुनने का पूरा अधिकार है जो कांग्रेसकी वर्तमान नीतिपर बिलकुल विश्वास नहीं करते या आंशिक विश्वास करते हैं । सही ढंगसे किया गया चुनाव ही एकमात्र ऐसा सच्चा तरीका है जिससे देशकी राय जानी जा सकती है । हम जबतक उचित भावना रखकर चुनाव नहीं करते तबतक हम न कभी देशकी वास्तविक राय जानेंगे और न वास्तविक प्रगति कर सकेंगे। हुबली कमेटीको उन लोगोंके नाम रजिस्टर में दर्ज करने चाहिए जो कांग्रेसके सिद्धान्तमें विश्वास रखते हैं और ४ आना चन्दा देते हैं तथा फिर ये लोग उन्हींको चुनें जिन्हें वे वास्तवमें चुनना चाहते हैं। ऐसे लोग ही, चाहे वे कांग्रेसके कार्यक्रममें विश्वास करते हों चाहे न करते हों, सही प्रतिनिधि होंगे। मुझसे पूछा गया है कि क्या एक मनुष्य सौ व्यक्तियोंकी ओरसे चन्दा देकर उनके नाम दर्ज करा सकता है । मैं कहना चाहता हूँ कि यह तो मत खरीदना है और इसीलिए यह बेईमानी है । बात यह है कि जो स्त्री या पुरुष सदस्य बनना चाहता है, अपने पाससे ४ आना शुल्क दे। यदि ये सच्चे निर्वाचक सामने रखे गये कार्यक्रमके सभी पहलुओंको समझकर कार्यक्रमपर विश्वास रखनेवाले लोगोंको छोड़कर दूसरे लोगोंको मत देने से इनकार करें और यदि केवल इने-गिने लोग ही ऐसे मिलते हैं जो उन शर्तोंपर काम करनेके लिए तैयार हों तो मुझे उन थोड़े से प्रतिनिधियोंको साथ लेकर ही कार्यक्रमपर अमल करनेमें जरा भी संकोच नहीं होगा । यदि हम वैज्ञानिक तरीकेसे तथा सच्ची भावनासे किन्हीं नीतियों तथा सिद्धान्तोंके सही नतीजों तक पहुँचना चाहते हैं तो उसका इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है ।


२४-३४
  1. १. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें अहमदाबाद प्रस्तावके पास होनेके बाद हुबली ताल्लुका कांग्रेस कमेटीकी कठिनाइयाँ गिनाई गयी थी ।