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टिप्पणियाँ

ही तन्दुरुस्त होकर उनके सामने जो जबर्दस्त काम है उसको अच्छी तरह करनेमें समर्थ होंगे ।

माँग के मुताबिक अभिनन्दन

श्री बी० एफ० भरूचा पंजाबमें खादीका प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने अभी-अभी लिखा है :

गत कुछ दिनों में अमृतसर में तीन प्रचार समितियाँ बनी हैं, हिन्दू, मुस्लिम और सिख । ये ही समितियाँ गवर्नर, सर मेलकॉम हैलीको अमृतसर आनेपर अभिनन्दन पत्र भेंट करने जा रही हैं। इस मासको २८ तारीखको जलियाँवाला बागमें एक सार्वजनिक सभा हुई थी। इसमें कहा गया था कि इन समितियोंसे जनताका कोई सम्बन्ध नहीं है । किन्तु इससे उनका प्रचार बन्द नहीं हुआ है । अमृतसर में कांग्रेस कमेटी, खिलाफत समिति तथा सिख लोगके अतिरिक्त तीन दूसरी साम्प्रदायिक संस्थाएँ हैं -- हिन्दू सभा, डा० किचलूका मुसलमान संगठन तथा सिखोंकी शिरोमणि समिति ।

उन्होंने प्रश्न पूछे हैं : इन प्रचार समितियोंमें कौन लोग हैं और क्या उनका गवर्नरको अभिनन्दनपत्र भेंट करनेके अतिरिक्त कोई और भी उद्देश्य है ? यदि गवर्नर और दूसरे अधिकारी इसका स्वाभाविक परिणाम पहचानकर अभिनन्दनपत्रोंको स्वीकार करनेसे साफ इनकार कर दें तो कितना अच्छा हो । यदि वे किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी व्यक्तिको, चाहे वह सरकारी अधिकारी, गैरसरकारी व्यक्ति, मध्यम मार्गी, उदारदलीय, स्वराज्यवादी या अपरिवर्तनवादी कोई भी हो, सभी तरहके अभिनन्दन पत्र देना बन्द करनेके लिए कोई संस्था स्थापित करना चाहते हों तो मैं उसमें भी उनसे सहयोग करनेमें जरा भी संकोच नहीं करूँगा । अभिनन्दनपत्रोंसे किसीका भी भला नहीं होता और वे अब प्रचारके साधन भी नहीं रहे हैं। अब जनता इन प्रदर्शनों- के धोखे में नहीं आयेगी। जो लोग इस प्रकारके प्रदर्शन करते हैं वे केवल अपना सस्ता प्रचार ही करते हैं, इसके सिवा और कुछ नहीं । ईमानदारीसे किया गया काम ही स्वयं अपनी अच्छाईका प्रमाणपत्र क्यों न हो ?

मलाबारकी बाढ़

मद्रास अहातेकी बाढ़ इतने बड़े क्षेत्रमें व्याप्त है कि कल्पना भी उसका चित्र नहीं खींच सकती। उससे मानव की असहायता का बोध होता है । उसमें वर्षोंके धैर्यपूर्वक किये गये परिश्रमके परिणाम एक क्षणमें बह गये । सहायता प्रायः एक मजाक-सी लग रही है । इसलिए जहाँ मैंने अपना यह विचार प्रकट किया है कि उसमें कोई भी प्रभावकारी सहायता कांग्रेसके सामर्थ्य से बाहर है वहाँ मेरा आशय यह नहीं है कि कांग्रेसी जनोंको कुछ नहीं करना चाहिए। बेशक वैयक्तिक सेवा तो सदा ही की जा सकती है । व्यक्तियोंके लिए जहाँ कहीं भी आर्थिक सहायता देना सम्भव है, वहाँ वह भी अवश्य ही देनी चाहिए। इसलिए यदि 'यंग इंडिया' के पाठक सहायताके लिए चन्दा भेजेंगे तो मैं उसे प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करूँगा[१] और अपनी मतिके अनुसार उसका अच्छेसे -

  1. १. देखिए " टिप्पणियाँ ", १४-८-१९२४, उपशीर्षक “मलाबारके लिए सहायता" ।