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२९३. मजदूर संघको सलाह[१]

अहमदाबाद
९ अगस्त, १९२४

अगर मजदूर संघ चाहे तो वह जाँच समितिके सामने बयान पेश कर सकता है लेकिन, मैंने जान-बूझकर मजदूर संघको सलाह दी है कि यह जरूरी नहीं कि वह अपनी ओरसे बयान दे । मजदूर संघ के संगठनकर्त्ता असहयोगी हैं, इसलिए वे जाँच में कोई प्रत्यक्ष हिस्सा नहीं ले सकते, लेकिन मजदूरोंके सलाहकार और संरक्षकके रूपमें वे उसमें कुछ हिस्सा ले सकते हैं । जाँचका विषय इतना सीमित है कि मजदूरोंको उससे कोई लाभ नहीं होगा। मजदूर संघके इस जाँचमें हिस्सा नहीं लेनेका एक और भी बड़ा कारण इस जाँच आयोग के कामका तरीका है। वह यथासम्भव मिल-मालिकोंसे मतभेदों का निपटारा संगत तरीकोंसे करेगा । इसलिए जबतक कोई बहुत जबरदस्त कारण न हो, मजदूर संघको दो बातोंका ध्यान रखना है -- एक तो भविष्य में इमारतोंकी विशेष सुरक्षितताके भरोसेका, और दूसरे मृतकों और घायलोंके लिए हर्जाना दिये जानेका । हर्जाने के सवालसे इस जाँचका कोई प्रत्यक्ष सरोकार नहीं है । भविष्य में इमारतें ठीक सुरक्षित रहें, इस ओर मजदूर संघ पूरी तरह सतर्क है और जिन अधिकारियोंसे इस विषयमें बातचीत की जानी चाहिए उनसे बातचीत चल रही है ।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ११-८-१९२४

२९४. मलाबारमें बाढ़

मलाबारकी बाढ़ के सम्बन्धमें सहायता देनेके लिए मेरे पास तारपर-तार आ रहे हैं। वहाँ हजारों लोगोंके घरबार पानी में बह गये हैं, सारी फसल जलमग्न हो गई है और उपजाऊ भूमिपर रेत चढ़ आई है । ऐसी हालत में कौन किसे मदद दे सकता है ? ऐसे समय एक उपाय यह है कि सरकार जो कुछ करे उसे हम ठीक मानें और चुप हो जायें। सरकार जो सहायता हमसे चाहे और हम जो सहायता दे सकें वह जरूर दें । इतना होते हुए भी लोगोंके निजी तौरपर दान देने और सेवा करनेकी गुंजाइश तो है ही ।

  1. १. गुजरात जिनिंग मिलमें एक दुर्घटना हो गई थी, और उसकी जाँच हो रही थी । यह सलाह गांधीजीने उसीके सम्बन्धमें दी थी। गांधीजीकी यह सलाह अहमदाबाद मजदूर संघ द्वारा प्रकाशित मजदूर सन्देश नामक पत्रिकामें छपी थी।