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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कांग्रेसके शान्ति और सत्यके रास्तेपर चलने लगेंगे और असहयोगका पाठ पूरी तरह समझ पायेंगे तभी उनकी हवा औरोंको भी लगेगी।

हमें संख्या-बलकी जरूरत थी। सो हमारे पास है। अब हमें गुण-बलकी जरूरत है। अब हमें जाँचना है कि इनमें से खरे सिक्के कितने हैं। इसकी परीक्षा हम केवल कार्य कर-कराके ही कर सकेंगे।

हमने बारडोलीमें कोई शिकस्त नहीं खाई है। एक जगह कमजोरी देखकर समझसे काम लिया है और सच्चे सैनिकोंकी तरह उस कमजोरीको दूर करने के लिए रुक-भर गये हैं। परन्तु हमें जो काम बारडोलीमें करना था वह आज भी करना बाकी है। लेकिन बारडोलीके समय पास होने के लिए जितने नम्बर काफी थे उतने आज काफी नहीं। आज तो ज्यादा नम्बरोंकी दरकार है; क्योंकि हमें तैयारीका समय ज्यादा मिला है; आज हमारा काम अधिक मुश्किल है और हमारे सम्मुख अकल्पित विघ्न आकर खड़े हो गये हैं। हममें दलबन्दी हो गई है। हिन्दू और मुसलमानोंकी मित्रता शिथिल हो गई है। अतः अब हमें अधिक बलकी आवश्यकता है।

हमें बोरसदकी परिषदें इस प्रश्नका जवाब देना है। इस विषयपर प्रस्ताव स्वीकार किया जाये या नहीं, यह वल्लभभाई जानें। सूत्रधार वे ही हैं। मैं तो दूर बैठकर नुक्ताचीनी करनेवाला हूँ। मैं सिर्फ इतना ही जानता हूँ और सुझाता हूँ कि यह काम आगे-पीछे करना जरूर होगा। हाँ, स्वराज्य लेने के लिए एक शर्तपर सविनय अवज्ञा जरूरी नहीं होगी। यदि हिन्दुस्तानका ज्यादातर भाग रचनात्मक कार्यक्रमके तमाम अंगोंको पूरी तरह विकसित कर सके तो इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। सत्याग्रह एक प्रकारका डमा है। वह सोये हुएको जाग्रत करता है और निर्बलको बल देता है। यदि थोड़े भी लोग कुरबानीके लिए तैयार हों और दूसरे लोग उनके उद्देश्यको समझते हों और पसन्द करते हों ―― भले ही वे स्वयं कुरबानीके लिए तैयार न हों――तो भी सत्याग्रही यज्ञकी अग्निको प्रज्वलित करता है और उसमें अपनी आहुति देता है।

मेरी यह धारणा भी है कि यदि सारा गुजरात ही इस दृष्टिसे सर्वांग सम्पूर्ण हो जाये तो भी सविनय अवज्ञाकी जरूरत न होगी। सर्वांग सम्पूर्ण होनेका अर्थ है सविनय अवज्ञाकी पूरी योग्यता प्राप्त करना। ऐसी योग्यता रखनेवाले लोगोंका मुकाबला करनेकी इच्छा कोई नहीं कर सकता; बोरसदने हमें यह भी दिखा दिया है। बोरसदकी अपने कार्यके लिए आवश्यक तैयारी इतनी पूर्णताको पहुँच गई थी कि सरकारको मुकाबला करने की जरूरत ही नहीं मालूम हुई। फिर सत्याग्रहमें तो हृदय-परिवर्तनकी बात है। विरोधीको जहाँ यह विश्वास हुआ कि हमारे साधन सच्चे हैं वहाँ वह अपना बल आजमानेकी इच्छा ही नहीं करता। अभी सरकारको हमारे सत्य या हमारी शान्तिके विषयमें सन्देह है, यही नहीं, बल्कि उसपर उसका विश्वास ही नहीं बैठता। यदि अंग्रेज आज निःशस्त्र हो जायें तो क्या वे हमारे बीच सुरक्षित

१. यह कदाचित् चौरीचौराकी घटनाकी ओर संकेत है।

२. रोग दूर करनेके लिए दागनेका उपाय।