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पत्र : पॉल एफ० क्रेसीको

चलना चाहिए। हम सभी अन्वेषक हैं। जबतक हम अपने और ईश्वरके बीच अपने अहंको खड़ा नहीं कर देते तबतक समझना चाहिए हम सही दिशामें ही चल रहे हैं ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री ए० डब्ल्यू० बेकर
डाकघर पोर्ट शिपस्टोन
नेटाल
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी से ।
सौजन्य : नारायण देसाई

३००. पत्र : पॉल एफ० केसीको

साबरमती
१० अगस्त, १९२४

प्रिय मित्र,

हमें तो बचपन से ही आत्म-त्यागकी शिक्षा दी जाती है। इसलिए प्राच्य संसारके हम लोग यद्यपि उस सिद्धान्तके अनुसार आचरण करनेमें असमर्थ रहते हैं, फिर भी हम जानते हैं कि जीवनका उद्देश्य भोग नहीं, त्याग है । ईश्वर करे, अमेरिकाके छात्र इस एक पाठको हृदयंगम कर लें ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री पॉल एफ० क्रेसी
ग्रेनविले, ओहियो
संयुक्त राज्य अमेरिका
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी से ।
सौजन्य : नारायण देसाई