पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/५९०

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३०३. पत्र : सरदार मंगलसिंहको

१० अगस्त,१९२४

प्रिय सरदार मंगलसिंहजी,

यह पत्र आपको श्री वालजी देसाईका परिचय देगा। वे असे मेरे सहयोगी के रूपमें काम कर रहे हैं । मेरे जेल जानेके बाद ही वे भी उसी अभियोगमें जेल भेज दिये गये थे । कृपया श्री देसाईकी किसी ऐसे ढंगसे मदद कीजिये जिससे वे पंजाब में रहकर स्थितिका अध्ययन कर सकें ।

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५९९६) की फोटो-नकलसे ।
सौजन्य : वा० गो० देसाई

३०४. पत्र : अली हसनको

साबरमती
१० अगस्त, १९२४

प्रिय मित्र,

मुझे आपका पत्र अवश्य मिला था। हिन्दू वह है जो 'वेदों', 'उपनिषदों', 'पुराणों' आदिमें और वर्णाश्रम-धर्म में विश्वास करता है । में आपके इस विचारसे सहमत नहीं हो सकता कि हमें उन लोगोंका दावा स्वीकार नहीं करना चाहिए जो अपनेको किसी विशेष धर्मका अनुयायी बताते हैं। मैं अपने विश्वासका सबसे अच्छा पारखी स्वयं अपनेको माननेका दावा करता हूँ। क्या आप ऐसा नहीं करते ?

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री अली हसन, बार-एट लॉ
पटना
[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरी से ।
सौजन्य : नारायण देसाई