पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/५९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५६६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बहुत बड़ा है। हम उसमें उन्हें उत्तेजन प्रदान करें और गुजराती कार्यको स्वयं आगे बढ़ायें। इसमें कोई त्रुटि दिखाई दे तो अवश्य बतायें ।

हमें 'यंग इंडिया' में कभी-कभी अधिक पृष्ठ देनेकी तैयारी रखनी चाहिए।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र ( जी० एन० ७७५३) से ।

३१२. पत्र : वा० गो० देसाईको

श्रावण सुदी ११ [११ अगस्त, १९२४ ][१]

भाईश्री वालजी,

मैं गणेशनकी बातको और आपके प्रश्नको अच्छी तरह समझ नहीं पाया हूँ । लेकिन मैं सामान्य रूपसे यह सलाह देता हूँ कि गणेशन जैसे काम करना चाहें उन्हें वैसे करने देना चाहिए।

मोहनदासके वन्देमातरम्

[ पुनश्च : ]

अन्य विषयोंसे सम्बन्धित उत्तर कल दे दिया गया है ।

वा० गो० देसाई
स्टलिंग कैसिल
शिमला
मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०२६) की फोटो-नकलसे ।
सौजन्य : वा० गो० देसाई
  1. १. वालजी १९२४ में शिमला में थे ।