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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कराने जाये। चालू सिक्केका बहिष्कार भी डण्डेके बलपर ही हो सकता है; उसके बिना उसमें जनताके जोशकी गुंजाइश तो और भी कम है। हाँ, यदि वातावरण शान्तिपूर्ण बनाया जा सके और शान्तिपूर्ण धरना दिया जा सके तो शराबकी दूकानोंपर फिरसे धरने शुरू करनेकी दिशामें में बहुत कुछ करने को तैयार हो जाऊँगा । हम अनुभव कर चुके हैं कि १९२१ का हमारा 'धरना' सब तरहसे शान्तिपूर्ण नहीं था ।

सच्चा उपाय हमें अपने अन्दरसे ही मिलेगा । जनताने नहीं बल्कि हमने ही अपना विश्वास खो दिया है। क्योंकि पत्र-लेखक जिनके कि जिम्मे खुद एक कांग्रेस समितिका काम है, कहते हैं कि मेरे पास धड़ाधड़ इस्तीफे आ रहे हैं। क्यों ? इसलिए कि इस्तीफे देनेवाले लोगोंका विश्वास इस कार्यक्रमपर नहीं रह गया है। अबतक तो वे राष्ट्रके साथ खिलवाड़ कर रहे थे, अब वे अपने और राष्ट्रके साथ संजीदगी-से पेश आ रहे हैं । वे सत्यकी पुकारका उत्तर दे रहे हैं। इन इस्तीफोंको मैं राष्ट्र-कार्यके लिए आगे चलकर लाभकारी मानता हूँ । यदि सब लोग ईमानदारी बरतें; अर्थात् या तो प्रस्तावोंका पालन करें या इस्तीफे दे दें तो हमें पता लग जायेगा कि हम कहाँ खड़े हैं। जिन मन्त्री महाशयके जिम्मे कांग्रेसका काम है उन्हें में सुझाऊँगा कि उनके रजिस्टर में यदि कुछ भी मतदाताओंके नाम दर्ज हैं तो उन्हें बुलायें और उनसे अपने प्रतिनिधियोंको चुननेको कहें। यदि सदस्य लोग स्वयंभूत सदस्य हों -- जैसा कि मुझे अन्देशा है कि बहुत सी जगहों में होंगे --तो मन्त्री ही अकेला कांग्रेसका सच्चा और एकमात्र प्रतिनिधि बना रहे बशर्ते कि उसे खुद अपने ऊपर और कार्यक्रमपर विश्वास हो । उस अवस्थामें उसे अपना सारा समय और ध्यान चरखेके लिए देना होगा। यह निश्चित है कि इस प्रकार कताईके प्रति निष्ठा रखनेवाला वह अकेला नहीं होगा । जो मनुष्य श्रद्धा और दृढ़ निश्चय रखता है उसे दुनियामें निराश होनेका कोई कारण नहीं रहता ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १४-८-१९२४