पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/६०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३२३. एक सबक

मैंने अखिल भारतीय खादी भंडारके नाम पंजाबके स्थानीय मन्त्रीका लिखा वह पत्र पढ़ा है जिसमें श्री भरूचाने अपने बहुत छोटे मुकामके दौरान वहाँ जो काम किया उसकी मुक्त कण्ठसे सराहना की गई है। उन्होंने वहाँ खादी आन्दोलनमें नई जान डाल दी है । उन्होंने बची हुई खादीको फेरी लगवाकर बेचने में मदद की और अमृतसर तथा लाहौर में छः हजार रुपये से अधिक मूल्यकी खादी बेची । मन्त्री महोदयने लिखा है कि इन दिनों पंजाबके बाजारमें मन्दी रहा करती है। बाहर गये हुए सब लोग सितम्बरमें लौट आयेंगे; यदि श्री भरूचा फिर उस समय वहाँ आ सकें तो और अधिक काम हो जाये। में श्री भरूचाको उनकी सफलतापर बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि वे फिर पंजाबका दौरा करेंगे। उनके इस दौरेसे हमें यह सबक मिलता है कि अगर चाहे तो प्रत्येक प्रान्त अपनी खादी खुद बेच सकता है । यदि कार्यकर्त्ता कमर कस लें तो जनता तो खरीदने के लिए तत्पर है ही ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १४-८-१९२४

३२४. टिप्पणियाँ

श्री केलकरकी मानहानि

बम्बईके उच्च न्यायालयके विद्वान न्यायाधीशोंने श्री केलकरको जो सजा दी है मेरा खयाल है कि उससे श्री केलकर या 'केसरी' की कुछ भी हानि नहीं हो सकती। जुर्माना भर देनेके बाद भी दोनों जहाँ के तहाँ रहेंगे। श्री केलकर इस मामले में जिस बहादुरीसे डटे रहे उसपर पत्रकारों और लोकनायकोंने उन्हें बधाई दी है । 'केसरी' की इज्जत तो लोगों में वैसे ही काफी है; इस फैसलेसे वह और भी बढ़ गई है। समझ में नहीं आता न्यायाधीश इतनी तुनकमिजाजी क्यों जाहिर कर रहे हैं ? निडरता से की गई सार्वजनिक टीका-टिप्पणीसे उनका कुछ नहीं बिगड़ सकता । हो सकता है, हमेशा ही ऐसी टीकाएँ औचित्यपूर्ण न हों और शायद ऐसी भी न हों कि उनकी सफाई दी जा सके। जिन लेखोंके द्वारा अदालतकी मानहानि हुई मानी गई है, उन्हें मैंने देखा नहीं है। लेकिन इस सजासे सार्वजनिक लाभ क्या हो सकता है ? क्या जनता या श्री केलकर इस फैसलेके कारण न्यायाधीशोंके प्रति अधिक उदार ख्याल रखने लगेंगे ? यदि इन लेखोंमें न्यायाधीशोंका पक्षपातपूर्ण होना दिखाया गया है तो वह सिर्फ लोकमतका प्रतिबिम्ब है । सम्भव है ऐसा पक्षपात अनजाने ही हो जाता हो; लेकिन जनताका ऐसा विश्वास बन गया है कि भारतीयों और यूरोपीयोंके बीच मुकदमोंमें न्यायाधीशोंकी ओरसे आम तौरपर पक्षपात होता ही है। खुद मेरा

२४-३७