पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/६०९

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लिए वाहवाही भी मिल जाये । कहा जाता है कि उन्होंने एक व्याख्यानमें गम्भीरता-पूर्वक यह बात कही कि " सत्ताके प्रति नफरत होनेके कारण ही भारतीय पुरुष भारतीय पुलिसवालोंको केवल बदनाम करनेके खयालसे भारतीय स्त्रियोंको इस बातके लिए राजी कर लेते हैं कि वे शीलभंगके आरोप गढ़ें । यदि यह बात उनके व्याख्यानके विवरण के रूपमें न होकर संवाददाता के द्वारा लिखे गये उसके सारके तौरपर ही होती तो में इस बातपर विश्वास करनेसे इनकार कर देता कि एक जिम्मेवार अंग्रेज ऐसी नितान्त विवेकहीन बात कह सकता है। यह तो साफ है कि लॉर्ड लिटन यह नहीं जानते या जाननेकी परवाह भी नहीं करते कि इस प्रकार भारतीय स्त्रियोंपर दोषारोपण करनेसे भारतीयोंके दिलोंमें कैसी गहरी खलबली मच जायेगी । क्या लॉर्ड लिटनके पास अपनी बात के अकाट्य प्रमाण मौजूद हैं ? यदि उनके कथनका आधार केवल पुलिसके बयान ही हैं तो यह आधार बहुत लचर है । उनके सलाहकारोंको उन्हें ऐसे स्वार्थ-प्रेरित प्रमाणोंके सम्बन्धमें सावधान कर देना चाहिए था । लेकिन वे निःशंक होकर ऐसी लांछनास्पद बात कह ही कैसे सके ? यदि बंगालका लोकमत और इसलिए सारे हिन्दुस्तानका लोकमत पुरअसर होता तो भी एकाध मामलेमें इस बातके सच होते हुए भी वे ऐसा आरोप लगानेकी हिम्मत न करते ? आज देशमें ऐसा शक्तिशाली लोकमत है ही नहीं कि जो अपनी किसी बातको जोरोंके साथ पेश कर सके । तथापि देश के सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्तिको भी इस गुमानमें नहीं रहना चाहिए कि वे हिन्दुस्तानकी भावनाओंको हमेशा इसी तरह तिरस्कृत करते रह सकेंगे । राष्ट्रीय आन्दोलनमें हिन्दू-मुसलमानोंके झगड़े और परिवर्तनवादियों और अपरिवर्तनवादियोंके मतभेद चन्द रोजा हैं; जब कि बड़े-बड़े ओहदोंपर बैठे हुए अंग्रेज अधिकारियों द्वारा किये गये अपमान सभी भारतवासियोंके दिलोंमें गहरे उतर जाते हैं । लेकिन क्या सम्राट् के गैरजिम्मेदार प्रतिनिधियोंके ऐसे अविवेकपूर्ण कृत्यों के कारण ही हम अपने सब मतभेद ताकपर रख दें ? मेरी समझमें इसी कारण ऐसा करना तो बड़ी अपमानजनक बात होगी ।

एक व्यावहारिक विवरण

तमिलनाड खादी बोर्डने अखिल भारतीय खादी बोर्डको अपने कामका विवरण बड़े ही सुन्दर रूप में भेजा है। यदि मेरे पास स्थान होता तो वह पूरा विवरण यहाँ छाप देता। जितना स्थान है, उतने में ही उसका सार प्रस्तुत करके मुझे सन्तोष करना पड़ेगा । विवरण में बोर्ड के अधीन चलनेवाले केन्द्रोंके उत्पादन और बिक्रीका लेखा पेश किया गया है । बोर्ड के मन्त्रीने आशा व्यक्त की है कि वह शीघ्र ही प्रति मास ५०,०००) रुपयेकी खादीका उत्पादन करने लगेगा | तिरुपुर केन्द्र में अब प्रतिमास १५ से २० हजार रुपये के मूल्यकी खादीका उत्पादन होने लगा है । जितना उत्पादन होता है, सबकी खपत स्थानीय बाजारमें ही हो जाती है। इस तरह बिक्री और उत्पादन-की एक-दूसरेकी प्रतिक्रिया होती रहती है । वे लोग धीरे-धीरे खादीकी किस्म में भी सुधार कर रहे हैं और अब खादीकी रंगीन साड़ियाँ तैयार करने की कोशिश हो रही है । उत्पादन के लिए सबसे पहले तो वे रुई इकट्ठी करते हैं जो सर्वथा उचित