पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/६११

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यह बतलाने की कृपा करें कि इन पुस्तकोंके कौनसे अनुच्छेद या अंश सरकारकी रायमें आपत्तिजनक हैं, जिनके कारण वे किताबें जब्त की गई हैं। हमारी प्रान्तीय कमेटी इसपर गौर करेगी और यदि उसे यह विश्वास हो जायेगा कि ये अंश वास्तवमें अनुचित हैं तो वह प्रोफेसर रामदास गौड़को यकीनन सलाह देगी कि वे अपनी पुस्तकोंसे उन हिस्सोंको निकाल दें। मुझे बड़ी खुशी होगी यदि आप कृपा करके इस पत्रका उत्तर जल्दी देंगे; क्योंकि ये पुस्तकें मेरी कमेटीसे सम्बन्ध रखनेवाली कितनी ही पाठशालाओंमें चल रही हैं।

पण्डितजीने एक ऐसा ही पत्र संयुक्त प्रान्तके शिक्षा विभागके मन्त्रीके नाम भी भेजा है। जनता आगेकी कार्रवाईको उत्सुकता के साथ देखेगी। इसी बीच पुस्तक-प्रकाशकोंने इस हुक्मको रद करानेके लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। ये पुस्तकें हजारोंकी संख्यामें बिक चुकी हैं। ऐसी हालतमें इन तमाम पुस्तकोंको जब्त करते फिरना सरकारके लिए कठिन होगा। लड़के-लड़कियाँ अपने-आप उन्हें नष्ट कर दें तो बात दूसरी है । अभीतक तो इस सिलसिले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। बल्कि पुस्तकें अभीतक ज्योंकी-त्यों पाठशालाओंमें चल रही है। लेकिन सरकारके पास तो बहुतेरी तरकीबें होंगी; और वह मौका पाते ही उन लोगोंको गिरफ्तमें ले लेगी जिनके पास ये जब्तशुदा पुस्तकें मिलेंगी। लोग इस बातको जानकर खुश होंगे कि पुस्तकोंके विद्वान् लेखकने अपना सर्वाधिकार नहीं रखा है ।

एक स्वागत करने योग्य भूल-सुधार

संयुक्त प्रान्त खादी बोर्ड के संयोजकने तार द्वारा सूचित किया है कि " संयुक्त प्रान्त के बारेमें पिछले हफ्ते जो आँकड़े प्रकाशित किये गये, उनमें कताई करने के लिए अपने नाम पंजीयन करानेवालोंकी कुल संख्या नहीं बताई गई है । जैसे-जैसे हमें मातहत कमेटियोंसे सूचियाँ प्राप्त हो रही हैं, हम उनकी पंजियाँ भेजते जा रहे हैं।" मैं इस भूल-सुधारका स्वागत करता हूँ और आशा करता हूँ कि अन्तिम सूचीमें इतने नाम होंगे कि बंगाल भी मात खा जायेगा । कारण, बंगालके बाद हमारा सबसे घनी आबादीवाला प्रान्त संयुक्त प्रान्त ही है।

कट्टरपंथियोंका विरोध

वाइकोमकी 'सवर्ण महाजन सभा' के सभापतिने मुझे एक पत्र भेजा है, जिसके साथ कुछ प्रस्ताव भी संलग्न हैं । प्रस्तावोंमें, मैं जो वाइकोम सत्याग्रहका समर्थन कर रहा हूँ, उसके प्रति विरोध प्रकट करते हुए मुझसे अनुरोध किया गया है कि मैं उसे बन्द करा दूं । पत्र लेखकका कहना है कि वहाँकी स्थितिकी जानकारी देनेवाले लोगोंने मुझे गुमराह किया है। मैंने निष्पक्ष भावसे दोनों पहलुओं पर विचार किया है और तब इसी निष्कर्षपर पहुँचा हूँ कि कुल मिलाकर सत्याग्रहियोंका आचरण बहुत ठीक रहा है और वे बहुत ही प्रतिकूल परिस्थितियोंमें संघर्ष चला रहे हैं । इसलिए मुझे दुःखके साथ कहना पड़ता है कि अपने कट्टरपन्थी मित्रोंको में सन्तुष्ट नहीं कर सकता और मेरे लिए सत्याग्रह बन्द करनेकी सलाह देना सम्भव नहीं है।