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३३३. पत्र : जमनादास गांधीको

श्रावण बदी १ [१५ अगस्त, १९२४ ][१]

चि० जमनादास,

रेवाशंकरभाईसे सलाह लो। मुझे लगता है, डाक्टर साहबके रुपये[२] मकानमें लगाने में कोई हर्ज नहीं ।

मैं कल दिल्ली जा रहा हूँ । शोर अपने-आप शान्त हो जायेगा ।

बापूके आशीर्वाद

चि० जमनादास खु० गांधी
मिडिल स्कूलके सामने
नवा परा, राजकोट
मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०२७) से ।
सौजन्य : नारणदास गांधी
  1. १. गांधीजी १६ भगस्त, १९२४ को दिल्लोको रवाना हुए थे। यह पत्र उससे एक दिन पहले लिखा गया था । १९२५ में श्रावण वदी १, १५ अगस्तको थी ।
  2. २. डा० प्राणजीवन मेहता द्वारा दी गई रकम ।