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पत्र: महादेव देसाईको

समझमें नहीं आ रहा है कि ‘गाय बची' शीर्षक टिप्पणी गुम कैसे हो गई। अगर खोज करनेपर भी न मिले तो मैं दूसरी लिखकर भेज दूँगा। हम लोग यहाँ इस सम्बन्धमें बहुत सावधान रहते हैं; आगे और भी सावधान रहेंगे।

बोरसद परिषद् और अन्य परिषदोंका समाचार ‘नवजीवन' तथा ‘यंग इंडिया' में तुम ही लिखना। हमारी प्रवृत्तियोंके कुछ स्थानीय समाचार भी दिये जाने चाहिए।

वीसनगर सम्बन्धी लेखका ‘स्वराज्य' में प्रकाशित अनुवाद बहुत सदोष है। तुमने जो भाषान्तर किया है, वह भी मुझे ठीक नहीं जँचा। उसमें कुछ अर्थकी अशुद्धियाँ भी है। मैंने उसका आधा भाग संशोधित कर दिया है। शेष भागको सुधारनेका समय नहीं मिला। अब हम शायद उसे न भी छा। उसे अन्य पत्रोंमें भेजनेकी तो बात ही नहीं सोचनी है। अगर हम उसे छापें तो केवल ‘यंग इंडिया' में ही छाप सकते है। अगर उसके शेष भागको संशोधित करनेका समय मिल गया तो उसे अगले सप्ताह छापने की बातपर विचार करेंगे। मैंने ‘चैलेंज' के स्थानपर ‘सिसकारवु,' शब्दका प्रयोग किया है। अगर कोई दूसरा शब्द सूझे तो लिखना। ‘ऋतुसम' का अर्थ है ‘ऋतुके अनुकूल और ‘मूर्छाई' का अर्थ है अपनी बड़ाई, शेखी। काठियावाड़ सम्बन्धी लेखमें अनायास ही काठियावाड़ी शब्द लेखनीसे निकलते चले गये।

उस डाकूका नाम मोर नहीं, बल्कि मोवर है। मैं उससे मिला भी हूँ।

श्रीमती जोजेफका तार मुझे भी मिला था। मैंने उन्हें तार द्वारा उत्तर दे दिया है कि तुम्हारा भेजा जाना आवश्यक नहीं है क्योंकि वहाँसे शिष्टमण्डल यहाँ आनेवाला है। इसके अतिरिक्त मेरा उद्देश्य सामान्य सिद्धान्तको समझाना मात्र है। इसमें गलतफहमीकी गुंजाइश है ही नहीं। ये लोग वाइकोमके मामलेको बिगाड़ रहे हैं, मुझे अब भी ऐसा प्रतीत होता है। जब प्रतिनिधि मण्डल यहाँ आयेगा तब हम इस सम्बन्धमें विचार करेंगे।

वालजीका स्वभाव तो तुम जानते ही हो। यदि हम उन्हें सन्तुष्ट रखकर उनसे उनकी रुचिका कोई काम करा सके तो अच्छा। मैं उनको ढील देकर उनकी विचित्रताओंको निकालने का प्रयत्न कर रहा हूँ। हम इस तरहकी छूट निश्चय ही दूसरेको नहीं देंगे। वालजीमें अन्य छोटी-मोटी त्रुटियाँ भले ही हों, परन्तु सरलता तो है ही। मैं उसकी कद्र करता हुआ उनसे उपयोगी काम ले रहा हूँ। तुम भी ऐसा ही करो।

राधाका स्वास्थ्य काफी अच्छा है; परन्तु उसकी खोई हुई शक्ति इतनी शीघ्रतासे वापस नहीं आ रही है, जितनी मैं चाहता हूँ। वह आजकल प्रसन्न रहती

१.देखिए “उतावला काठियावाड़", ११-५-१९२४।

२. जोर्ज जोजेफकी धर्मपत्नी। श्री जोजेफ मदुरेके वैरिस्टर थे और उन्होंने यंग इंडिया और इंडिपेंडेंटका कुछ दिनोंतक सम्पादन किया था।

३. प्रतिनिधि मण्डलसे हुई बातचीतके लिए देखिए “भेंट: ‘हिन्दू' के प्रतिनिधिसे", १९-१०-१९२४।

४. मगनलाल गांधीकी कन्या।