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४६. पत्र: कान्ति गांधीको

भाद्रपद सुदी ३ [२ सितम्बर, १९२४][१]

चि० कान्ति,[२]

मैंने तुम्हें पत्र लिखने के लिए तो कहा नहीं था। तुम बहुत समझदार हो गये हो; इसलिए मुझे कहनेकी कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन तुम्हें मुझे अपने विचार तो जरूर बताने चाहिए। मुझे पत्र स्पष्ट और सुन्दर अक्षरोंमें लिखा करो। रसिककी[३] देखभाल करना और उससे पत्र लिखनेके लिए कहना। यहाँ अच्छी बारिश हुई है। दिल्लीके बारेमें अभी कुछ निश्चित नहीं हुआ है।

बापूके आशीर्वाद

चि० कान्ति
सत्याग्रहाश्रम
साबरमती

गुजराती पत्र (एस० एन० १०१४९) की फोटो-नकलसे।

४७. भाषण: नेशनल मैडिकल कालेज, बम्बईमें[४]

२ सितम्बर, १९२४

अपने छोटे-से भाषणमें महात्माजीने नेशनल मैडिकल कालेजकी सन्तोषजनक प्रगतिपर बड़ी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब डा० साठ्येने पहले-पहल ऐसी संस्था शुरू करने के सम्बन्धमें मेरी सलाह माँगी थी तो मैं कुछ हिचकिचा रहा था; क्योंकि काम बहुत बड़ा और बहुत-सी कठिनाइयोंसे भरा हुआ था। लेकिन अब खुद यह देखकर मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है कि मेरा डर निराधार था और इस स्थाने शानदार प्रगतिकी है। मैं आशा करता हूँ कि डाक्टरी पेशेमें लगे प्रमुख लोग इसे मदद देते रहेंगे और बम्बईके धनाढ्य लोग इसकी मकान सम्बन्धी कठिनाई दूर कर देंगे तथा इसकी आर्थिक सहायता भी करेंगे। अन्तमें उन्होंने विद्यार्थियोंसे खादी पहननेका अनुरोध किया और राष्ट्रीय कर्त्तव्यके रूपमें रोज आधा घंटा कातनेको भी कहा।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३-९-१९२४
  1. डाककी मुहरसे।
  2. और
  3. गांधीजीके सबसे बड़े बेटे हरिलाल गांधीके पुत्र।
  4. कालेजके तृतीय स्थापना दिवस समारोहके अवसरपर।