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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हम भारतवासियोंके लिए तो चरखा हमारे तमाम सार्वजनिक और सामुदायिक जीवनका आधार ही है। उसके बिना किसी भी प्रकारके स्थायी सार्वजनिक जीवनका निर्माण करना असम्भव है। यही एक ऐसा प्रत्यक्ष प्रेम-पाश है, जो अपनी जन्म-भूमिके छोटे-छोटे व्यक्तियोंके साथ हमें बाँध देता है और उन्हें आशाका सन्देश पहुँचाता है। हाँ, यदि जरूरत हो तो हम चाहे अन्य चीजें भी उसके साथ शामिल कर लें; पर सबसे पहले हमें उसकी जड़ मजबूत कर लेनी चाहिए; वैसे ही जैसे होशियार कारीगर पहले इमारतकी दुनियादको पक्का कर लेता है, फिर उसपर मंजिलें उठाता है और इमारत जितनी ही बड़ी और ऊँची बनानी होती है वह नींवको उतनी ही अधिक गहरी और मजबूत बनाता है। अतएव यदि हम चाहें कि चरखेकी कुछ करामात हमें दिखाई दे तो हमें घर-घर उसका प्रचार करना चाहिए।

परन्तु चरखा देशके सिर्फ ऊँचे और नीचे लोगोंको ही एक सूत्र में नहीं बाँधेगा बल्कि वह देशके विविध राजनीतिक दलोंको भी एक सूत्रमें बाँधनेका साधन होगा। तमाम दलोंके लिए यह चरखा एक समान वस्तु होगी। वे चाहें तो भले ही दूसरी तमाम बातोंमें मतभेद बनाये रहें, पर कमसे-कम इसपर सब सहमत हो सकते हैं।

अतएव में हरएक शख्ससे, जिसके हृदयमें अपने देशके प्रति प्रेम हो और जो देशके दरिद्र और पतित भाइयोंसे अनुराग रखता हो, प्रार्थना करता हूँ कि वह उनके लिए और ईश्वरके नामपर कृपाकर आध घंटेका दैनिक श्रम चरखा कातकर दें और एक-सा और मजबूत सूत भेजें। चूंकि राष्ट्र के लिए उनकी तरफसे यह दान होगा, अतएव वे अ० भा० खादी बोर्ड के पास उसे भेज दें, नियमपूर्वक जैसे कि किसी धार्मिक नियमका पालन करते हों।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, ४-९-१९२४

५५. टिप्पणियाँ

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बम्बईके एक्सेल्सियर थियेटरमें हुए मेरे भाषणके संक्षिप्त विवरणमें पाठक मेरी एक योजना देखेंगे, जिसका उद्देश्य देशके उन तमाम विभिन्न तत्त्वोंको साथ मिलानेका है, जो इस समय एक-दूसरेके खिलाफ काम कर रहे हैं। बहुतांशमें वे यह जानते भी नहीं कि वे ऐसा कर रहे हैं। लोग मुझसे कहते हैं कि इन सब दलोंको एक कर लीजिए। इसलिए मैं इस बातकी चेष्टा कर रहा हूँ कि किस तरह ये भिन्न-भिन्न शक्तियाँ एक हो सकती हैं। दूसरे शब्दोंमें, वे कौन-सी बातें हैं, जिनपर उन लोगोंकी एक बड़ी तादाद---जिन्होंने कि देशके सार्वजनिक जीवनको बनाने में कुछ योग दिया है--परस्पर सहमत है या हो सकती है, अथवा वे कौन-सी चीजें हैं जो हमारी आन्तरिक शक्तियोंके विकासके लिए अनिवार्य हैं। यद्यपि बाहरी बातोंसे भी