पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/१४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०७
टिप्पणी

'यंग इंडिया' के द्वारा तो मैंने बहुत-कुछ समझाया है। मुझे पता नहीं कि उसमें से कितनेका अनुवाद 'नवजीवन' में प्रकाशित हुआ होगा।

तुम्हारा हाथ बिलकुल अच्छा हो गया होगा। मौ० मुहम्मद अलीका पत्र या तार आनेतक मैं यहीं हूँ।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (जी० एन० २८५०) की फोटो-नकलसे।

७१. टिप्पणी

खादी-प्रचार

प्रिन्सेस स्ट्रीटके खादी भण्डारको, जिसे भाई जेराजाणी अपनी जोखिमपर चलाते थे, अब अखिल भारतीय खादी मण्डलने अपने हाथमें ले लिया है और उसका इरादा उस खादी भण्डारका विस्तार करनेका है। भण्डार अपने हाथमें लेते हुए आवश्यक जमानत भी ले ली गई है। इस भण्डारको लेनेका उद्देश्य यह है कि समस्त हिन्दुस्तानमें तैयार होनेवाली खादी, जो प्रान्तोंमें बच जाये, इस केन्द्रीय खादी भण्डारमें लाकर रखी जाये और बेची जाये। इस तरहकी सहायता पहले गुजरात प्रान्त किया करता था, लेकिन गुजरात प्रान्तीय कमेटीने स्थानीय उद्योगको विकसित करनेका जो निश्चय किया है उसे देखते हुए गुजरातने अब ऐसा करना बन्द कर दिया है। अतः इस भण्डारमें हर तरह की खादी दिखाई देती है। इसमें महाराष्ट्रीय बहनोंको जिस तरहकी साड़ियाँ चाहिए वे भी मिलती हैं और पूरे अर्जकी धोतियाँ भी, जो अबतक नहीं मिलती थीं, मिल सकती हैं। इस भण्डारने संगठनकी जो योजना चलाई है वह प्रोत्साहन देने योग्य है। एक रुपया वार्षिक चन्दा देनेवाला कोई भी मनुष्य इसका सदस्य बन सकता है। भण्डारके व्यवस्थापकने यह जिम्मेदारी ली है कि वह खादीकी किस्म और भाव-सम्बन्धी पत्रिका प्रकाशित करके प्रत्येक सदस्यको पहुँचायेगा तथा इसके प्रत्येक सदस्यको खरीदी गई खादीपर एक रुपये के पीछे एक पैसेकी छूट भी मिलेगी। अर्थात् यदि वह एक वर्षमें ६४ रुपयेकी खादी खरीदता है तो उसमें से एक रुपया तो अवश्य बचा सकता है। तथापि कोई मनुष्य संकुचित दृष्टिकोणसे सदस्य बने यह वांछनीय नहीं है। यदि कोई इसका सदस्य बने तो खादीको प्रोत्साहन देनेके विचारसे ही बने। वह खादीकी प्रगति सम्बन्धी पत्रिका पढ़कर समस्त जानकारी प्राप्त करे तथा अन्य लोगों में उसका प्रचार करे। इस पत्रिकाके चतुर्थ अंकमें दो सुझाव दिये गये हैं वे उपयोगी हैं। चौमासेमें सब कपड़े जल्दी नहीं सूखते और खादीके कपड़ोंको सूखने में तो बहुत ज्यादा समय लगता है। इसके लिए यह उपाय बताया गया है कि एकके बदले, बीचमें दो फुटका अन्तर रखकर, दो रस्सियाँ बाँध ली जायें और उनपर कपड़ेको इकहरा फैलाया जाये। इस तरह कपड़े के दोनों छोर मिलने न पायेंगे और इससे