पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/१५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१२०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


२. किसी भी गुंडीमें ५०० गजसे ज्यादा सूत नहीं होना चाहिए। हर गुंडीमें यथासम्भव सौ-सौ गजकी पाँच लच्छियाँ होनी चाहिए और हर लच्छी एक मजबूत धागेसे बाँध दी जानी चाहिए। बुनकरोंको गुंडीसे खोलकर सूत नलकी (बाबिन) पर लपेटना पड़ता है, अतः उनकी सुविधाके लिए ऐसा करना नितान्त आवश्यक है। यदि सूत उलझा हुआ हो तो उसे खोलना प्रायः असम्भव हो जाता है। बीचमें जो गाँठें लगाई जाती हैं, उनसे नलकीपर सूत लपेटनेवालोंको, अगर सूत टूट गया हो तो, उसका छोर ढूँढ़ने में कठिनाई नहीं होती। अगर उसे उस छोरको सिर्फ सौ तारोंमें ही ढूँढ़ना पड़े तो वह बहुत आसानीसे ढूँढ सकता है।

३. अटेरनसे उतारने के पहले सूतपर थोड़ा-सा पानी छिड़कनेसे उसकी मजबूती बढ़ जाती है।

४. एक-से सूतकी हर गुंडीपर सूतके वजन, लम्बाई (गजों में) और अंककी चिट लगानी चाहिए। अंक निकालनेका तरीका बड़ा आसान है। सूत जितना गज लम्बा हो उस संख्याको २१ से तथा तोलेमें सूतका जो वजन हो उससे विभक्त कर दीजिए। उदाहरणके लिए, ८४० गजकी गुंडीका वजन यदि १/२ तोला है तो सूतका अंक= ४०होगा। यदि उसका वजन है तोला है तो उसका अंक=८० होगा। कहने की जरूरत नहीं कि अंक निकालनेमें बटेको छोड़ देना चाहिए।

५. कुछ सदस्योंने सूतकी कूकड़ी तकुएसे निकालकर ज्योंकी-त्यों बिना गुंडी बनाये भेजी है। इस तरह तकुएसे निकलनेके बाद उसको काममें लाना निहायत मुश्किल है। यदि उसे बुनाईके लिए उपयोगमें लाना है तो उसकी गुंडी अवश्य बनानी चाहिए और उसपर ऊपर सुझाये तरीकेसे गाँठें दे देनी चाहिए।

यहाँ मुझे एक बात कह देनी चाहिए। एक-दो शख्स ऐसे भी हैं, जिन्हें मिलका सूत भेजनेमें भी कोई संकोच नहीं हुआ। मुझे आशा है, उन लोगोंने बिना यह जाने ही कि हमारा कर्त्तव्य क्या हैं, यह भेज दिया है। मिल-कते सूतकी पहचान करने में जरा भी कठिनाई नहीं होती। किसी भी किस्मका सूत भेज देनेमें कोई खूबी नहीं है। खूबी तो अपने हाथोंसे काता हुआ अच्छा और एक-सा सूत भेजने में है।

तमाम पार्सल साबरमती के पतेपर भेजने चाहिए---अहमदाबाद नहीं। उनका किराया वहीं भर देना चाहिए।

कुछ और आँकड़े

प्राप्त सूतका विवरण प्रकाशित होने के बाद आन्ध्र और तमिलनाडुसे कुछ सूतके पार्सल और आये हैं। इससे यह मालूम होता हैं कि इन दोनों प्रान्तोंने रिपोर्टमें दिखलाये आँकड़ोंसे बहुत ज्यादा सूत भेजा है। आन्ध्रकी कुल संख्या ४८७ और तमिलनाडुकी १९५ है।

कुल प्राप्त सूतका वजन २३ मन २३ पौंड है। इसमें गुजरातसे भेजे गये सूतका वजन १३ मन है और शेष दूसरे प्रान्तोंका है। अधिकसे-अधिक १०० अंक तकका सूत आया है। हमारी मिलोंमें आमतौरपर ४० से अधिक अंकका सूत नहीं काता जाता। कतैयोंको याद रखना चाहिए कि जब वे बिना कुछ मेहनताना लिये