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पत्र: राधा गांधीको

किसीने दिये ही नहीं। अब इस बार मैंने सुधार किया है। भाई केवलरामने[१]अभी कोई निश्चय नहीं किया है। तुम अन्त्यज आश्रम के बारेमें सोच-विचार कर करो। मैं यह पत्र दिल्ली जाते हुए लिख रहा हूँ।

बापूके आशीर्वाद

भाईश्री फूलचन्द
केलवणी मण्डल कार्यालय
बढ़वान शहर

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० २८२२) से।

सौजन्य: शारदाबन शाह

९४. पत्र: राधा गांधीको

भाद्रपद सुदी १५ [१३ सितम्बर, १९२४][२]

चि० राधा,

मैं यह पत्र दिल्ली जाते हुए लिख रहा हूँ। मुझे कदाचित् पन्द्रह-एक दिन लगेंगे। मणिबनके पेटमें दर्द है। उसका पता है: मार्फत वल्लभभाई पटेल, बैरिस्टर। दिल्ली में मेरा पता है: मार्फत मौलाना मुहम्मद अली, 'कॉमरेड' कार्यालय, दिल्ली।

देवदास अहमदाबादमें ही रह गया है। रामदास भावनगर जा रहा है। कृष्णदास, प्यारेलाल और महादेव मेरे साथ हैं।

बापूके आशीर्वाद

चिरंजीव राधा
मार्फत वोरा शिवलाल करसनजी
लाल दरवाजाके पास
राजकोट

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०३४) से।

सौजन्य: राधाबहन चौधरी

  1. केवलराम जोशी, बढ़वानके दीवानके पुत्र।
  2. डाककी मुहर से।