पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/१७६

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९५. पत्र: सन्मुख रायको

१३ सितम्बर, १९२४

भाई सन्मुख राय,

ब्रह्मचर्य का पालन करनेके लिए निम्न बातें आवश्यक हैं: देसाई ९६. पत्र : शरद् कुमार घोषको ' १३ सितम्बर, १९२४ [ अंग्रेजी से ] हिन्दू, १६-९-१९२४ [ १३ सितम्बर, १९२४ के पश्चात् ] आपका तार पाकर बड़ी खुशी हुई। मैं बड़ी उत्कटतासे प्रार्थना कर रहा हूँ कि ईश्वर मुझे राह दिखाये । मैंने मोतीलालजीको दो पत्र लिखे हैं । सिद्धान्त के मामले में समझौता करनेका कोई सवाल ही नहीं उठता। आपका प्रस्ताव मुझे पसन्द आया है । १. प पत्र सर्वेटके संवाददाता शरद कुमार घषिके १३ सितम्बरके तारके उत्तर में भेजा गया था । तार इस प्रकार था : “लगता है कि आप या तो स्वराज्यवादियोंके कार्यक्रमको, जिसमें उनका सरकारी ओहदे मंजूर करना भी शामिल है, स्वीकार कर लेंगे और अपने रचनात्मक कार्यक्रम मात्रसे ही सन्तोष कर लेंगे या फिर आप कांग्रेससे बिलकुल ही बाहर निकल जायेंगे। हमें नहीं मालूम कि आप क्या करेंगे। . . . जबतक आप कांग्रेस में हैं, अपरिवर्तनवादियोंको कांग्रेसके पद प्राप्त करनेके लिए कोशिश करनी ही पड़ेगी। इसीलिए लगातार खींच-तान होती रहती है। आपके कांग्रेससे बाहर आ जानेपर अपरिवर्तनवादी लोगों को भी बिना कोई संकोच-विकोच किये उससे बाहर आ जानेकी छूट मिल जायेगी ।... ऐसी परिस्थिति में तो हम लोग जो आपके अनुपायी हैं, सोचते हैं कि सबसे अच्छा यही रहेगा कि आप और आपके अनुयायी कांग्रेस छोड़ दें और एक स्वतन्त्र संस्था बना लें।...” Gandhi Heritage Portal