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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मुझे तनिक भी शंका नहीं रही है। अनुभव हमारी छिपी शक्तियोंको प्रकाशमें लाता है और सोच-समझकर काम करनेसे समयकी बचत होती है। समयकी बचत धन ही है।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, १४-९-१९२४

१००. पत्र: एनी बेसेंटको

मार्फत: 'कॉमरेड' कार्यालय
दिल्ली
१४ सितम्बर, १९२४

प्रिय डा० बेसेंट,

आपके पत्र और हमारी बातचीतके सम्बन्धमें आपकी टिप्पणीके लिए मैं सदैव आभारी रहूँगा। आपका पत्र आनेपर मैंने आपको तार भेजा था कि 'यंग इंडिया' पहले ही प्रकाशित हो चुका है। इसलिए मैं अब वह टिप्पणी एसोसिएटेड प्रेसको दे रहा हूँ। स्वराज्यवादियोंकी ओरसे अभी मुझे कोई उत्तर नहीं मिला है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी इस मामलेमें क्या कहेगी। फिर भी आगे जो कुछ होगा, उसकी सूचना आपको देता रहूँगा।

आप जब भी चाहेंगी, मैं अपने लड़केको तुरन्त अडयार भेज दूँगा। आपको कताई सिखाना वह अपना सौभाग्य मानेगा।

हृदयसे आपका,

[अंग्रेजी से]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई