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१०६. भाषण: 'हिन्दुस्तान टाइम्स' दिल्लीके उद्घाटनसमारोह के अवसरपर

१५ सितम्बर, १९२४

श्री गांधीने प्रेसका उद्घाटन करते हुए कहा कि मैंने उद्घाटन करनेके लिए सरदार मंगलसिंहका आमन्त्रण बिलकुल निस्संकोच भावसे स्वीकार नहीं किया, क्योंकि मेरी अपनी पक्की राय है कि देशकी वर्तमान परिस्थितिको देखते हुए यदि मेरा बस चले तो मैं 'यंग इंडिया' के अलावा सभी समाचारपत्रोंको बन्द करा दूँ। लेकिन सिखोंके प्रति अपने प्रेमके कारण मुझे यह आमन्त्रण स्वीकार करना पड़ा। आज सिखोंकी स्थिति बड़ी कठिन है और मैं आपसे सिर्फ इतना ही कहूँगा कि आप ईश्वरपर अडिग विश्वास रखें। मुझे विश्वास है कि इतनी अच्छी साइतमें शुरू किया जानेवाला यह समाचारपत्र इस दायित्वपूर्ण पेशेके योग्य सिद्ध होगा और इसका संचालन सचाई, नीति-कुशलता और निर्भयताके साथ किया जायेगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है और मुझे आशा है कि ऐसा कोई काम नहीं किया जायेगा जिससे आपके महान् नारे---'सत श्री अकाल' की गरिमापर आँच आये। इस पत्रमें प्रकाशित प्रत्येक शब्द और वाक्य तुला हुआ होना चाहिए। इतना ही नहीं कि इसमें असत्य कथनको स्थान न दिया जाये, बल्कि ऐसी भी कोई चीज इसमें नहीं जानी चाहिए जो परोक्ष रूपमें भी असत्यको पनपानेमें सहायक हो या सत्यपर पर्दा डालती हो। आपका धर्म सत्य और बलिदानकी शिक्षा देता है और मुझे आशा है कि श्री के० एम० पणिक्करके सुयोग्य और प्रबुद्ध सम्पादन तथा सरदार मंगलसिंह-जैसे लोगोंके मार्ग-दर्शनमें यह पत्र इस शिक्षाको सिखों और भारतकी सेवाके लिए कार्य रूपमें परिणत करेगा।[१]

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू,१७-९-१९२४
  1. मशीन खराब हो जानेके कारण दरअसल हिन्दुस्तान टाइम्सका प्रकाशन एक सप्ताह बाद हो पाया था।