१०७. तार: जमनादास द्वारकादासको[१]
[१५ सितम्बर, १९२४ या उसके पश्चात्]
पत्र मिला। कांग्रेसका लक्ष्य स्वराज्य कायम है। कांग्रेसी सम्मेलनमें भाग लेंगे। कताईको अत्यावश्यक मानता हूँ। लिख रहा हूँ।
गांधी
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०१७२) की फोटो-नकलसे।
१०८. सन्देश: लाहौर के 'हिन्दू'को
[१५ सितम्बर, १९२४ या उसके पश्चात्][२]
लीजिए मेरा सन्देश:
मैं आजकी परिस्थितिमें समाचारपत्रोंकी संख्या बढ़ाने के विरुद्ध हूँ। ज्यादातर समाचारपत्र तो केवल परेशानी ही पैदा कर रहे हैं और हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ा रहे हैं। आपका समाचारपत्र हिन्दुओंका पत्र है। इसलिए अगर यह हिन्दुओं द्वारा मुसलमानोंकी खातिर अपने हरएक भौतिक हितके त्यागके सिद्धान्तको लेकर नहीं चलता तो कमसे-कम मैं तो उसका स्वागत नहीं कर सकता।
मो० क० गांधी
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य: नारायण देसाई