१०९. पत्र: वल्लभभाई पटेलको
भाद्रपद बदी ३ [१६ सितम्बर, १९२४][१]
मेरा निश्चय तो इस पत्रके पहुँचनेसे पहले ही आप जान लेंगे। आप सिंह हैं, इसलिए घबरायें नहीं। अपना सोचा हुआ सब काम ज्यादा जोरोंसे करते रहिये। किसीको घबराने न दें। मैं उपवास यहीं पूरा करना चाहता हूँ। मुझे डर है मणिबहन बहुत घबरायेंगी। उसे समझाइय। मैं अलग पत्र नहीं लिख रहा हूँ।
बापू
अहमदाबाद
[गुजराती से]
बापूना पत्रो २-सरदार वल्लभभाईने
११०. टिप्पणियाँ
[१७ सितम्बर, १९२४ पूर्व][२]
किसी कांग्रेसीका सम्बन्ध नहीं
पाठकोंको याद होगा कि 'सवर्ण महाजन सभा' के अध्यक्षने कांग्रेसियोंपर लगभग उच्छृंखल आचरण करनेका आरोप लगाया था। अब मुझे तीन ऐसे पत्र मिले हैं, जिनमें इस आरोपको साफ-साफ अस्वीकार किया गया है। एक पत्र सभाके संयोजकोंने भेजा है। उस पत्रके कुछ अंश मैं नीचे दे रहा हूँ:[३]
हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि सभाका संचालन कांग्रेसके अनुयायियोंके तत्त्वावधान में नहीं हुआ था। यह मध्य त्रावणकोरके सवर्ण
हिन्दुओंकी सभा थी। इसका आयोजन चैंगनूरके सबसे प्रमुख प्रतिष्ठित ब्राह्मण जमींदार, वंजीपुझाके प्रधानके कहनेपर कुछ प्रतिनिधि संयोजकोंने किया था। इन