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११४. पत्र: सी० एफ० एन्ड्रयूजको

दिल्ली
१७ सितम्बर, १९२४

प्रियवर चार्ली,

मेरे निर्णयपर परेशान मत होना। हार्दिक प्रार्थना और ईश्वरसे यथासम्भव स्पष्ट संकेत मिलनेके बाद ही मैंने यह निर्णय किया है। प्रसंग ऐसा है कि कमसे-कम २१ दिनका उपवास तो मुझे करना ही चाहिए। आह! इस सबके कारण मुझे कितनी वेदना हुई है। हर दिन भारी सन्ताप सहना पड़ा है। किन्तु अब तो मेरे मनको शीघ्र ही शान्ति मिल जायेगी। मैं अपने कर्त्तव्यका स्पष्ट संकेत पानेके लिए व्याकुल था। प्रकाश विद्युत् गतिसे आया है। क्या कोई मनुष्य अपना जीवन देनेसे अधिक कुछ कर सकता है?

हार्दिक प्रेमके साथ,

तुम्हारा,
मोहन

श्री सी० एफ० एन्ड्रयूज
शान्तिनिकेतन
बरास्ता-बोलपुर
ई० आई० रेलवे

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २६१३ ) की फोटो-नकलसे।