पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/२०३

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११७. पत्र: वसुमती पण्डितको

भाद्रपद बदी ४ [ १७ सितम्बर, १९२४ ][१]

चि० वसुमती,

तुम्हारा कार्ड मिला। कटिस्नान ठंडे पानीसे ही किया जाता है। उसका सामान्य स्नानसे कोई सम्बन्ध नहीं है। लेकिन यह भोजनके कमसे कम तीन घंटे बाद किया जाता है और इसके एक घंटे बादतक कुछ नहीं खाया जाता। कटिस्नान करते समय पाँव और शरीरका ऊपरी भाग पानीके बाहर रहता है। पेडु पानीमें डूबा रहता है। उसको गीले कपड़े से रगड़ना चाहिए। तुमने मेरे उपवासका समाचार पढ़ा होगा। यह उपवास २१ दिनका है; इसलिए इससे घबरानेकी तनिक भी आवश्यकता नहीं है। मेरे पास दौड़ आनेका विचार भी न करना। मेरा खयाल है कि २१ दिनका उपवास मुझे भारी नहीं पड़ेगा।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र ( सी० डब्ल्यू० ४५६ ) से।

सौजन्य: वसुमती पण्डित

११८. पत्र: रुक्मिणी गांधीको

बुधवार [ १७ सितम्बर, १९२४ ][२]

चि० रुखी,

मैं तुम्हारे पत्रकी बाट ही जोह रहा था। सारा काम-काज करते हुए भी स्वास्थ्यका ध्यान रखना। यह बहुत जरूरी है कि वहाँ जबतक रहो तबतक तुम्हारा शरीर अच्छी तरह मजबूत हो जाये। संस्कृतको न भूलना। मोटी बा ठीक हो गई है, यह जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। उनको मेरा प्रणाम कहना।

बापूके आशीर्वाद

चि० रुक्मिणी गांधी
मार्फत-श्री खुशालभाई गांधी
नवुं परुं, राजकोट

गुजराती पत्र ( सी० डब्ल्यू ६०९५ ) से।

सौजन्य: राधाबहन चौधरी

  1. पत्र में गांधीजीके २१ दिनके उपवासके जिक्रसे स्पष्ट है कि यह १९२४ में लिखा गया था।
  2. डाककी मुहरसे।