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११९. पत्र: सी० एफ० एन्ड्रयूजको

[१८ सितम्बर, १९२४ से पूर्व][१]

प्रिय चार्ली,

तुम्हारा पत्र और तार, दोनों मिले। तुम यात्रामें गुरुदेवका साथ नहीं दे रहे हो। आशा करता हूँ, इसका कारण तुम्हारी अस्वस्थता नहीं है, क्योंकि अबतक तो तुम स्वस्थ हो ही गये होगे।

इस विषय में जैसा मैं महसूस करता हूँ, जबतक तुम भी वैसा ही महसूस न करने लगो, तबतक तुम्हें बहनके भेजे जुराब वगैरह स्वीकार करनेमें कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। मगर इस सम्बन्धमें मेरा मत तो जैसा पहले था, वैसा ही अब भी है। गरीबों द्वारा बनाई चीजों का इस्तेमाल करके, उनके साथ तादात्म्य स्थापित करनेके स्पष्ट कर्त्तव्यमें बहन के प्रेमोपहारको भी बाधक नहीं बनने दिया जा सकता। यहाँ सही निर्णयपर पहुँचनेका तरीका यह है: सोचो कि यदि तुम्हारी ही तरह दस लाख दूसरे लोगोंको भी ऐसे ही दस लाख प्रेमोपहार मिलें तो क्या हम इस देशके गरीबोंको अपने बीच उनके द्वारा बनाये कपड़े को खपानेके अवसरसे वंचित नहीं करेंगे? खैर, मैं तुमको समझाने की कोशिश क्यों करूँ? तुम अपनी बहनके भेजे कपड़े स्वीकार करो और उनका इस्तेमाल करो, इससे तुम्हारे प्रति मेरा प्रेम कुछ कम तो नहीं हो जायेगा। मैं नहीं चाहता कि तुम खुद जिस कामको जरूरी नहीं समझते, वह करो।

इसी प्रकार, तुम और मैं यदि ऐसी सेवामें प्रवृत्त हों, जिसका सम्बन्ध हमारे पड़ोसीसे---निकट परिवेशसे---नहीं है, तो इस स्थितिको भी स्वीकार करनेके लिए अपने मनको मना सकने में मुझे कोई कठिनाई नहीं दीखती। मैंने सिद्धान्त बता दिया है। उसे मैं बिलकुल सही ही मानता हूँ। जब ईसा मसीहने अपने सगे-सम्बन्धियोंका "त्याग" किया था तो वास्तवमें उन्होंने उनका त्याग नहीं किया था। उन्होंने जो महत्तर सेवा की, उसमें उन सगे-सम्बन्धियोंकी सेवा भी शामिल थी। लेकिन, इसके विपरीत, महावीरने अपनी माताकी आज्ञाका पालन करनेके लिए, जैसा कि हमें लग सकता है, महत्तर सेवासे मुँह मोड़ लिया था। किन्तु, दोनों ही सही थे। हम उनके कार्योंके सम्बन्धमें कोई निर्णय नहीं दे सकते। लेकिन नियमको तो हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा। किसी दूरस्थ कर्त्तव्यकी पुकारपर तुम अपने निकटस्थ कर्त्तव्यकी उपेक्षा नहीं कर सकते। अगर शान्तिनिकेतनको तुम्हारी आवश्यकता हो तो तुम सारे भारतको बचानेके कर्त्तव्यकी पुकारपर भी शान्तिनिकेतनको छोड़ नहीं सकते। सबको अपने-अपने कर्त्तव्य स्थलपर डटे रहना है।

  1. पत्र "बहनके प्रेमोपहार" के उल्लेख और "पत्रः सो० एफ० एन्ड्रयूजको", १८-९-१९२४ के आधारपर।