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टिप्पणियाँ

हार्दिक स्नेह सहित,

तुम्हारा,
मोहन

अंग्रेजी पत्र ( जी० एन० २६३५ ) की फोटो-नकलसे।

१२०. टिप्पणियाँ

डा० एनी बेसेंटकी घोषणा

वर्तमान स्थिति के बारेमें डा० एनी बेसेंटकी घोषणाका मैं स्वागत करता हूँ। मुझे आशा है कि पाठकगण भी मेरी ही तरह उसका स्वागत करेंगे। मेरे लिए यह बड़े महत्त्वकी बात है कि वे इस बातकी आवश्यकता महसूस करने लगी हैं कि राष्ट्र-कार्य के लिए हरएक कार्यकर्त्ताको सूत कातनेकी मिसाल पेश करनी चाहिए। डा० बेसेंटकी मिसालका कताई -आन्दोलनपर निश्चय ही बड़ा असर पड़ेगा। इन गुणी महिलाका इतनी उम्र में अपनी व्यस्तताओंके बावजूद आधा घंटा कातनेपर राजी होना राष्ट्र-कार्यके प्रति उनकी निष्ठाका ज्वलन्त उदाहरण है।

कांग्रेस के संविधानके सम्बन्धमें स्पष्टतः कुछ भ्रम पैदा हो गया है। संविधानको स्थगित करनेका तो कोई सवाल ही नहीं उठता। हाँ, यदि मेरा कातनेका प्रस्ताव मंजूर कर लिया जायेगा तो उसमें कुछ संशोधन जरूर करना पड़ेगा। असहयोग-कार्यक्रम, जिसमें सविनय अवज्ञा भी आ जाती है, संविधानका अंग तो है ही नहीं। यदि मेरे प्रस्ताव स्वीकार कर लिये जायेंगे तो असहयोग कार्यक्रम अवश्य ही एक सालके लिए स्थगित हो जायेगा। स्वराज्य की योजना तैयार करनेमें मेरा योगदान यह रहेगा: स्वराज्यकी योजना तैयार करनेके लिए विभिन्न दलोंके किसी भी निर्दलीय सम्मेलनमें यदि जरूरत हुई तो मैं अवश्य शरीक होऊँगा। बहुमतका निर्णय इस अर्थ में मेरे लिए बन्धनकारी होगा कि मैं सिर्फ इस कारण असहयोग या सविनय अवज्ञाकी धमकी नहीं दूँगा कि बहुमत द्वारा स्वीकृत योजनासे मुझे सन्तोष नहीं है। और यदि बहुमतको अपने निर्णय से सन्तोष हुआ तो इस कार्यके लिए निर्धारित वर्ष-भरकी अवधि खतम हो जानेपर भी मैं ऐसी धमकी नहीं दूँगा, मैं तो उसे सफल बनानेके लिए सरगर्मीसे कोशिश करूँगा। यदि उस योजनामें मेरी न्यूनतम अपेक्षा पूरी कर दी गई। यहाँ मैं कांग्रेस-संविधानके विषयमें भी दो शब्द कहना चाहूँगा। मैं देखता हूँ कि कुछ आलोचकोंका कहना है कि मैं ऐसा मानता हूँ कि कांग्रेसका वर्तमान संविधान सर्वथा असफल सिद्ध हुआ है। यदि उसे कांग्रेस के ही माप दण्डसे मापा जाये तो वह जरूर कारामद नहीं हो पाया है। लेकिन मेरी रायमें गम्भीरतासे सोचनेपर इस बातसे कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि भारतमें जितनी भी संस्थाएँ हैं, उनमें कांग्रेस अब भी सबसे अधिक राष्ट्रीय और प्रातिनिधिक है। आज भी उसके बुनियादी सदस्योंकी संख्या सबसे बड़ी है और किसी भी संस्थाकी बनिस्बत उसमें काम करनेवाले स्वयं-