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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उनका मतलब, मैं समझता हूँ, 'शरीरसे कमजोर' है। यदि हाँ, तो उनका विचार ठीक नहीं है। दुनियामें ऐसे बहुत-से प्राणी हैं जो शारीरिक दृष्टिसे मनुष्योंसे बहुत ज्यादा बलवान् हैं और फिर भी मनुष्य -जाति जीवित है। शरीर-बलमें बढ़ी-चढ़ी बहुत-सी मानव-जातियाँ अबतक लुप्त हो चुकी हैं और कुछ तो इस समय भी लुप्त होती जा रही हैं। ऐसी अवस्थामें जहाँतक मनुष्य-जातिका सम्बन्ध है, यों कहना चाहिए कि "संसारमें उसके लिए जगह नहीं जिसकी आत्मा कमजोर है।"

जहाँतक मेरा सम्बन्ध है, मैं तो अपना पासा फेंक चुका हूँ। तमाम धर्मोंमें अहिंसा एक समान तत्त्व है। कुछ धर्मोंमें उसपर औरोंकी अपेक्षा ज्यादा जोर दिया गया है। पर इस बातपर सभी सहमत हैं कि अहिंसाका जितना भी पालन किया जायेगा, थोड़ा होगा। पर हमें इस बातका निश्चय कर लेना चाहिए कि वह अहिंसा ही है, भीरुताको ढँकनेवाला पर्दा नहीं।

इस समस्याका हल खोजने के लिए हमें आम आदमियोंका मुँह जोहनेकी जरूरत नहीं, बल्कि हमें अपनी ही स्थितिका विचार करना चाहिए, क्योंकि उन आम आदमियों के पीछे हम लोग रहते हैं जो उनको कठपुतलियोंकी तरह नचाया करते हैं। इसलिए हमें इस बातकी चिन्ता रखनी चाहिए कि हम खुद कोई काम डरकी वजहसे न करें। मैं द्वन्द्व-युद्धसे नफरत करता हूँ, पर हाँ, उसका भी एक रोमानी पहलू है और उसे मैं अब लोगोंके सामने रख रहा हूँ। मैं बड़े शौकसे बड़े भाईके[१] साथ द्वन्द्व-युद्ध करना चाहूँगा। जब हम दोनोंको यह यकीन हो जायेगा कि अब तो बिना खून-खराबे के एकताका कोई उपाय ही नहीं रह गया है और जब हम देखेंगे कि हम दोनों भी सुलह से एक साथ नहीं रह सकते, तब मैं जरूर बड़े भाईको दो-दो हाथ करने के लिए कहूँगा। मैं जानता हूँ कि वे अपने बड़े-बड़े पंजोंसे मरोड़कर मेरे टुकड़े-टुकड़े कर सकते हैं। लेकिन बस, उसी दिन हिन्दू धर्म आजाद हो जायेगा अथवा यदि वे एक हट्टे-कट्टे पहलवानकी ताकत रखते हुए भी मेरे हाथों मर जायेंगे तो इस्लाम हिन्दुस्तानमें आजाद हो जायेगा। उस अवस्थामें वे मानो मुसलमानों द्वारा हिन्दुओंको डराने-धमकाने का प्रायश्चित्त कर लेंगे। पर मैं इस बात से सख्त नफरत करता हूँ कि दोनों दलोंके गुंडोंके बीच यह खूनी खिलवाड़ होता रहे। ऐसे भुज-बलकी आजमाइशके सहारे जो सुलह होगी वह अन्ततः कटुतामें बदले बिना न रहेगी। हिन्दुओंकी भीरुता दूर करनेका उपाय तो यह है कि हिन्दुओंका पढ़ा-लिखा समुदाय इन गुंडोंसे लड़े। हम शौकसे लाठियोंका तथा दूसरे ठीक हथियारोंका इस्तेमाल करें। मेरी अहिंसा उसकी अनुमति देगी। इस लड़ाईमें हम मारे जायेंगे, पर उससे हिन्दू और मुसलमान दोनोंके दिलकी मलामत निकल जायेगी। उससे हिन्दुओंकी भीरुता एक क्षणमें दूर हो जायेगी। पर अगर मौजूदा तरीका जारी रहा तो हर जमात अपने-अपने गुंडोंकी गुलाम हो जायेगी। इसका मतलब होगा कि फौजी ताकतका दौर-दौरा हो जायेगा। इंग्लैंडने असैनिक सत्ताकी प्रधानताके लिए संघर्ष किया। उसकी जीत हुई और वह जीवित है। लॉर्ड कर्जनने हमें बहुत नुकसान पहुँचाया है। पर

  1. मौलाना शौकत अली।