पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/२१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१२४. पत्र: एनी बेसेंटको

दिल्ली
१८ सितम्बर, १९२४

प्रिय डा० बेसेंट,

पत्रके लिए धन्यवाद। आप मेरे उपवासकी बात जानती ही हैं, इसलिए मुझे २ अक्तूबर[१]के समारोहकी अध्यक्षता के सौभाग्यसे वंचित रहना पड़ेगा। किन्तु सन्देश भेजनेकी आशा तो करता ही हूँ।

कांग्रेस द्वारा इस संविधानके पास किये जानेके सम्बन्धमें मुझे बहुत-सी कठिनाइयाँ दिखाई देती हैं। किन्तु मैं इस विषयमें दूसरोंकी बात सुनने-समझने को तैयार हूँ। जब कभी हम मिल पायेंगे, इसपर बातचीत करेंगे। मुझे इस उपवाससे किसी बुरे परिणामकी आशंका नहीं है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।

सौजन्य: नारायण देसाई

१२५. पत्र: सी० एफ० एन्ड्रयूजको

१८ सितम्बर, १९२४

प्रिय चार्ली,

तुम्हारा पत्र मिला। मैंने तुम्हारा प्रश्न समझा नहीं। बेशक, तुम्हारी बहन मलाबारके गरीबोंके लिए अपनी बुनी जुराबें भेज सकती हैं। इस सम्बन्धमें मैंने पहले जो बात कहीं थी और अब जो छूट दी है, उसके पूरे कारणोंकी चर्चा यहाँ नहीं करूँगा। यह इसलिए कि मैं तुम्हारा दृष्टिकोण भी समझ सकता हूँ और जो एक-मात्र सबसे अच्छा नजरिया है, उससे अपने दृष्टिकोणका भी औचित्य सिद्ध कर सकता

  1. एनी बेसेंटकी ७८ वीं वर्षगांठ तथा उनके सार्वजनिक जीवनकी जयन्तीके उपलक्ष्य में। वस्तुतः यह समारोह १ अक्तूबर को कावसजी जहाँगीर हॉल, बम्बई में मनाया गया था। गांधीजीके सन्देशके लिए देखिए "सन्देश: एनी बेसेंट के जन्म-दिवसपर", १-१०-१९२४ से पूर्व।