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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हूँ। कुछ भी हो, इसमें कोई विरोध अथवा पक्षपातपूर्ण भेद-भावकी बात नहीं है। यह तो विशुद्ध रूपमें कर्त्तव्यका प्रश्न है। सस्नेह,

तुम्हारा, मोहन

[ पुनश्च: ]

तुम्हें कल मेरा कार्ड अवश्य मिला होगा। मैं बिलकुल ठीक हूँ।

श्री सी० एफ० एन्ड्रयूज
शान्तिनिकेतन
बरास्ता-बोलपुर
ई० आई० रेलवे

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २६१६) की फोटो-नकलसे।

१२६. पत्र: राधा गांधीको

भाद्रपद बदी ५ [१८ सितम्बर, १९२४][१]

चि० राधा,

तुम्हारा पत्र आज मिला। मेरे २१ दिनके उपवासकी खबर तुमने सुनी होगी। कोई चिन्ता न करना। धर्मका पालन करते हुए यदि दुःख आ पड़े तो उसे सहन करना ही उचित है और इसमें प्रियजनोंको सुख मानना चाहिए। आशा है कि अब तुम्हारी तबीयत बिलकुल ठीक होगी। तुम क्या पढ़ती हो, क्या खाती हो, कितनी घूमती-फिरती हो, कातती हो अथवा नहीं, आदि सब बातें तुम्हें मुझे लिखनी चाहिए। रुखी क्या पढ़ती है, उसकी तबीयत कैसी रहती है, यह भी लिखना। मुझे अभी तो यहीं रहना होगा। यह पत्र सबको पढ़वा देना।

बापूके आशीर्वाद

चि० राधा
मार्फत--खुशाल गांधी
नवं परुं, राजकोट
काठियावाड़

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०३५) से।

सौजन्य: राधाबहन चौधरी

  1. डाककी मुहरसे।