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१२८. तार: चक्रवर्ती राजगोपालाचारीको[१]


[१८ सितम्बर, १९२४ या उसके पश्चात्]

उपवास छोड़ने का मतलब तो अपने-आपको नकारना होगा। उपवास मरनेके लिए नहीं, जीनेके लिए कर रहा हूँ। ईश्वरकी मर्जी कुछ और हो तो दूसरी बात है। चिन्ता न करें।

गांधी

हिन्दू, २९-९-१९२४

१२९. तार[२]

[१८ सितम्बर, १९२४ के पश्चात्]

तार अभी मिला। ईश्वरने चाहा तो इक्कीस दिन बाद भी निश्चय ही जीवित रहनेकी आशा। इरादा चालीस दिन उपवास करनेका था। किन्तु बहुत कष्टके बिना ही इसे पूरा कर लूँ, इस आशासे इक्कीस दिन ही रखना तय किया। ऐसा निर्णय करने तथा मित्रोंकी सलाह न लेनेका पूरा कारण है। जो स्पष्ट कर्त्तव्य हो उसका पालन चाहे जितना कष्टकर हो, उसपर चिन्ता नहीं करनी चाहिए। उपवास धर्मकी मेरी कल्पनाका सीधा परिणाम है।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०१७८) की फोटो-नकलसे।

  1. यह राजगोपालाचारीके १८ सितम्बरके उस तारके उतरमें भेजा गया था जिसमें उन्होंने गांधीजीसे उपवास छोड़नेका अनुरोध करते हुए लिखा था: आपके वर्तमान स्वास्थ्य को देखते हुए उसका (उपवासका) अर्थ मृत्युके सिवा और कुछ नहीं होगा।
  2. इस तारका मसविदा १८ सितम्बरको सी० एफ० एन्ड्रयूज द्वारा महादेव देसाई को भेजे गये पत्रके पीछे लिखा गया था।