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पत्र: हरनाम सिंहको

कायम रहें तो कांग्रेस फिर बहिष्कार शुरू कर सकती है। लेकिन बहिष्कारके इस पुनरुद्धारमें एक यह खूबी होगी कि उसमें से बलात्कार -रूपी डंक बिलकुल निकल जायेगा। यदि वर्षके अन्तमें यह परिणाम न निकला और सरकारकी पद्धतिमें भी कोई परिवर्तन न हुआ तो बहिष्कारवादी कांग्रेसमें उसका पुनरुद्धार करनेका प्रयत्न तो न करेगा परन्तु अपने आचार-बलसे धीरे-धीरे अन्य लोगोंको बहिष्कारके प्रति आकर्षित करेगा। स्वतन्त्र इच्छासे किया जानेवाला शान्त बहिष्कार कोई आसान बात नहीं। यदि वह संकोचवश आरम्भ किया जाता है तो वह लम्बे समयतक नहीं चल सकता। आवेगमें किया गया बहिष्कार सोडेके उफानकी तरह क्षणिक होगा। ज्ञानपूर्वक और निश्चयपूर्वक किया गया बहिष्कार ही सब विघ्न-बाधाओंको पार कर सकेगा और डिगेगा नहीं। अतएव मैं बहिष्कारवादियोंसे यही उम्मीद करता हूँ कि यद्यपि कांग्रेस में बहिष्कार स्थगित रहेगा, फिर भी वे उसपर टिके रहेंगे, इतना ही नहीं, वरन् उसपर दृढ़तापूर्वक आचरण करेंगे। गुजरातसे तो मैं इसके आलावा कोई दूसरी आशा करता ही नहीं। यदि हम इस तरह अगले वर्षतक निजी बहिष्कारपर कायम रहकर भी सहयोगियोंका तिरस्कार न करनेका पूरा पाठ पढ़ लें, तो यह बात हमारी अमूल्य उन्नतिकी परिचायक होगी और उससे स्वराज्यकी अपनी यात्रामें हम बहुत आगे बढ़ जायेंगे।

[ गुजराती से ]
नवजीवन, २१-९-१९२४

१४४. पत्र: हरनाम सिंहको

मार्फत 'कॉमरेड' कार्यालय
दिल्ली
२१ सितम्बर, १९२४

प्रिय राजा साहब,

अपने इस गहरे दुःखमें मेरी सादर संवेदना स्वीकार करें। ईश्वर श्रीमती हरनामसिंहकी आत्माको शान्ति दे।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

राजा सर एस० हरनाम सिंह
'मेनर'
शिमला

अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ३७११) से।

सौजन्य: राजकुमारी अमृत कौर

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