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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दे। मेरे उपवासका, और बातोंके अलावा, एक उद्देश्य यह भी है कि मैं ऐसा सम और निःस्वार्थ प्रेम-भाव प्राप्त करने के योग्य बन सकूँ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २५-९-१९२४

१५०. टिप्पणी

२२ सितम्बर, १९२४

पाठकोंको सूचना

'यंग इंडिया' और 'नवजीवन' मेरे लिए प्रसन्नताके स्रोत हैं। मुझे इनके माध्यम से प्रति सप्ताह जनताके लिए कुछ लिखना बहुत प्रिय है। किन्तु मुझे दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि मुझे दो या तीन सप्ताह के लिए सम्पादकीय लिखनेका काम बन्द रखना होगा। मेरे तानाशाह चिकित्सक यह काम करनेसे मुझे मना करते हैं। चार्ली एन्ड्रयूज मेरे शुद्धीकरण तथा स्वास्थ्य-लाभकी अवधि में 'यंग इंडिया' का सम्पादन स्वयं करनेका आग्रह कर रहे हैं। मैं इस प्रस्तावको सहर्ष स्वीकार करता हूँ। हम दोनों सगे भाई-जैसे हैं। जो सन्देश मैं देता रहा हूँ, वही सन्देश श्री एन्ड्रयूजकी प्रांजलतर तथा शुद्धतर शैलीमें पढ़कर आपको प्रसन्नता होगी। आखिर अंग्रेजी मेरे लिए विदेशी भाषा ही है। चार्ली एन्ड्रयूज उसके पण्डित हैं। इसलिए सम्पादकका दायित्व उन्हें सौंपते हुए मुझे प्रसन्नता ही हो सकती है। 'नवजीवन' के सम्पादकत्वका उत्तरदायित्व महादेव देसाईपर रहेगा। गुजरातियोंमें मेरे सन्देशका इतना सच्चा व्याख्याता दूसरा कोई नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि 'यंग इंडिया' या 'नवजीवन' में मैं स्वयं कुछ नहीं लिखूँगा। यदि मेरी शक्ति अन्त तक बनी रही---बहुत अधिक सम्भावना है कि वह अन्ततक बनी--रहेगी और यदि डाक्टरोंने मुझे अनुमति दी तो मैं आशा करता हूँ कि उनके प्रत्येक अंकमें कुछ अनुच्छेद मैं लिखता रहूँगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, २५-९-१९२४