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१८१. पत्रः मुहम्मद अलीको

दिल्ली
८ अक्तूबर, १९२४

प्रिय भाई,

आप मेरे लिए भाईसे भी बढ़कर हैं। गाय देख ली।[१] उसे देखनेके लिए मेरी खाटको थोड़ा ऊपर उठा दिया गया था। धन्य है आपका प्रेम कि आपके मनमें यह विचार आया। ईश्वर करे मेरा और आप दोनों बन्धुओंका यह स्नेह-बन्धन हमारे अपने-अपने धर्मों, देश तथा मानवताके कल्याण के लिए हिन्दू और मुसलमानोंको अटूट और शाश्वत स्नेह बन्धनमें बाँध दे। हाँ, ईश्वर महान् है; वह सब-कुछ कर सकता है।

सदैव आपका,
मो० क० गांधी[२]

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ११-१०-१९२४

१८२. सन्देश: 'स्टेट्समैन' को

[ ९ अक्तूबर, १९२४ से पूर्व ]

एकता अन्य सभी वस्तुओंसे बढ़कर है।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजी से ]
हिन्दुस्तान टाइम्स, ९-१०-१९२४
  1. १६-१०-१९२४ के यंग इंडियामें छपे अपने लेख "सम्मेलन और उसके पश्चात्" में मुहम्मद अलीने लिखा था: मैंने महात्मा गांधीको उनके उपवास तोड़नेपर किसी कसाईसे खरीदकर एक गाय भेंट दी थी।
  2. गांधीजीने अपने हस्ताक्षर उर्दूमें किये थे।