पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/२९०

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१९२. इलाहाबाद और जबलपुर

मेरे उपवास और एकता सम्मेलनके बावजूद इलाहाबाद और जबलपुरमें दंगे हुए हैं। यह खयाल तो किसीने भी न किया था कि सम्मेलन अथवा उपवासके फलस्वरूप दंगा वगैरह होना ऐसे बन्द हो जायेगा, मानो कोई जादू हो गया हो। पर मैं इतनी आशा जरूर करता हूँ कि पत्रकार ऐसे दंगोंके बारेमें लिखते समय संयमसे काम लेंगे और पक्षपात -पूर्वग्रह छोड़ देंगे। मैं यह भी आशा करता हूँ कि दोनों जातियोंके और तमाम दलोंके अगुआ उनके असली कारणोंको खोज निकालनेमें, उनका उपाय करने और सर्वसाधारण के सामने सही ब्यौरा प्रकाशित करनेमें सहयोग देंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-१०-१९२४

१९३. गुरुकुल काँगड़ी

बाढ़ते तो इस साल चारों ओर ध्वंस-लीला मचा दी है। गुरुकुल भी, जो स्वामी श्रद्धानन्दजी के धैर्य और आत्म-त्यागपूर्ण प्रयत्नोंका कीर्ति-चिह्न है, गंगाकी बाढ़का शिकार होनेसे नहीं बचा। उनके प्रति, उस महान् संस्थाके व्यवस्थापकों और विद्यार्थियोंके प्रति मैं हार्दिक सहानुभूति व्यक्त करता हूँ। मुझे आशा है कि चन्देके लिए की गई अपील पर लोग तुरन्त कार्रवाई करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १६-१०-१९२४

१९४. पत्र: वाइसराय के निजी सचिवको

रोशनआरा रोड
दिल्ली
१६ अक्तूबर, [ १९२४ ]

प्रिय महोदय,

यदि मुझे अनुमति दे दी गई तो मैं शरीरमें पर्याप्त शक्ति आते ही अपने कुछ मुसलमान और हिन्दू मित्रोंके साथ कोहाट जाना चाहता हूँ। मैं कोहाट इसलिए जाना चाहता हूँ कि वहाँ के निवासियोंसे हिन्दुओं और मुसलमानों के झगड़ोंके कारणों का पता लगा सकूँ और यदि सम्भव हो तो मित्रोंकी सहायता से दोनों जातियोंमें मेलजोल करा सकूँ। यदि आप मुझे यथासम्भव शीघ्र यह बता दें कि वाइसराय महोदय मुझे