पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/३००

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२१०. तार: पीलीभीत कांग्रेस कमेटीके मन्त्रीको[१]


[ २१ अक्तूबर, १९२४ या उसके पश्चात् ]

बरेली के हिन्दू मुसलमान नेताओंसे कहा है कि वहाँ जायें।

अंग्रेजी प्रति ( एस० एन० १०४९१ ) की माइक्रोफिल्मसे।


२११. तार: कोण्डा वेंकटप्पैयाको[२]


[ २१ अक्तूबर, १९२४ या उसके पश्चात् ]

नेलौर खिलाफत कमेटी के मंत्रीको दिवालीपर नेलौर में उपद्रवका भय है। आप स्वस्थ हों तो किसी मुसलमानको लेकर वहाँ जायें अथवा इस भार किसी और को दे दें।

गांधी


अंग्रेजी प्रति ( एस० एन० १०४९१ ) की माइक्रोफिल्म से।

२१२. जी० रामचन्द्रन्के साथ बातचीत[३]

[ मंगलवार व बुधवार,
२१ व २२ अक्तूबर, १९२४ ][४]

आत्मशुद्धि और प्रार्थनाके सप्ताहोंमें जो लोग दिलखुश आये, उनमें शान्ति-निकेतनके एक युवा छात्र भी थे। उनका नाम रामचन्द्रन् है और वे श्री एन्ड्रयूज के शिष्य

  1. यह २१ अक्तूबरको प्राप्त निम्न तारके उत्तरमें दिया गया था: "ताजियेपर ईंट-पत्थर फेंकने से दूँगा। चार मुसलमान गोलियोंसे घायल। चार हिन्दू भी गोलियोंसे घायल। बहुत लोग जख्मी। कुछ मन्दिरों और आर्यसमाज मन्दिरके अपवित्र किये जानेकी खबर। भारी उत्तेजना। छत्तीस हिन्दुओंपर मुकदमे। दण्ड विधान ३०७/३३८ के अधीन तीन मामले।"
  2. इस तारका मसविदा पीलीभीत कांग्रेससे प्राप्त दूसरे तारके पीछे लिखा था। इसलिए इसकी तारीख वही है जो पीलीभीत कांग्रेसके मन्त्रीको दिये तारकी है। देखिए पिछले शोककी पाद-टिप्पणी।
  3. यह महादेव देसाईके हस्ताक्षरोंसे यंग इंडियामें दो किस्तोंमें छपी थी। शीर्षक था: "गांधीजीके साथ एक सुबह"।
  4. "दिल्ली, बुधवार, २९ अक्तूबर, १९२४" की तारीखमें २-११-१९२४ के गुजराती नवजीवनमें लिखते हुए महादेव देसाईने रामचन्द्रन्के "पिछले सप्ताह" प्रस्थान करनेकी चर्चा की है। इसलिए लगता है कि यह बातचीत उक्त तिथियोंको ही हुई थी।