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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कि वे बस मृत्युकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनकी यह दशा इसलिए थी कि वे किसी भी हालतमें काम करने को तैयार नहीं थे। अगर उन्हें काम करनेसे इनकार करनेपर कोई गोली मार देने की भी धमकी देता तो मेरा विश्वास है, वे कोई ईमानदारीका काम करनेके बजाय गोली मार दिया जाना अधिक पसन्द करते। कामसे यह अरूचि मद्यपानकी अपेक्षा कहीं अधिक बड़ी बुराई है। किसी मद्यसेवीसे तो तुम कुछ काम ले सकते हो। उसमें कुछ उत्साह होता है; समझदारी भी होती है। लेकिन, काम करनेसे इनकार करनेवाले ये भूखे लोग बिलकुल पशुओं-जैसे हो गये थे। सवाल यह है कि ऐसे लोगोंसे काम लेनेकी समस्याको हम कैसे हल कर सकते हैं? मुझे तो चरखेको घर-घर पहुँचा देनेके अलावा इसका और कोई रास्ता नहीं दिखाई देता। इसलिए, बाहरसे भारतमें मँगाये गये एक-एक गज कपड़ेका मतलब इन दीन-हीन क्षुधित लोगोंके मुँहसे एक-एक ग्रास छीन लेना है। अगर मेरी ही तरह तुम भी समयके सबसे बड़े तकाजेको समझ पाते---और वह तकाजा है भारत के करोड़ों क्षुधित लोगोंको आनन्द और हर्षके साथ अपनी रोटी कमानेका एक अवसर देना---तो तुम्हें कताई सदस्यतापर कोई आपत्ति नहीं होती। मैं तो कांग्रेसको कताईकी सर्वोपरि आवश्यकताको स्वीकार करनेवाले पुरुषों और स्त्रियोंकी ही संस्था मानता हूँ। फिर, उसे अपने हर सदस्य के लिए कताई अनिवार्य करके इस संस्थाकी सदस्यताकी प्रामाणिकताकी ओरसे आश्वस्त हो जानेकी कोशिश क्यों नहीं करनी चाहिए? और तुम समझाने-बुझानेकी बात कहते हो। समझाने-बुझानेका इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है कि कांग्रेसका हर सदस्य, हर महीने नियमित रूपसे एक निश्चित परिमाणमें सूत काते? अगर कांग्रेसी लोग खुद ही कताई नहीं करेंगे तो फिर लोगोंसे कताई करनेको कहना उनके लिए कसे उचित माना जा सकता है?

लेकिन कताई न करनेवाले लोगोंको आप कांग्रेससे बाहर कैसे रख सकते हैं? हो सकता है कि वे अन्य प्रकारसे देशकी महत्त्वपूर्ण सेवा कर रहे हों।

क्यों नहीं रख सकते? आखिर सम्पत्तिपर आधारित मताधिकारका कारण क्या है? किसी व्यक्तिके लिए सदस्य बननेके लिए चार आने देना क्यों जरूरी है और उम्रको एक आवश्यक योग्यता क्यों माना जाता है? क्या इटली के उस आठ वर्षीय प्रतिभाशाली वायलिन-वादकको मताधिकार दिया जा सकता है? जॉन स्टुअर्ट मिल चाहे जितने भी मेधावी रहे हों, लेकिन जब वे सत्रह वर्ष के थे तब ग्रीक और लैटिनके समस्त ज्ञानके बावजूद उन्हें मताधिकार नहीं प्राप्त था। अल्प वयमें ही अद्भुत प्रतिभाका परिचय देनेवाले इन व्यक्तियोंको मताधिकार क्यों नहीं दिया गया? मताधिकार चाहे किसी प्रकारका हो कुछ-न-कुछ लोग उससे वंचित रहेंगे ही। नहीं, यह ठीक है कि आज बहुतसे लोग मेरी स्थितिको स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन मुझे विश्वास है कि कभी-न-कभी हो सकता है, मेरी मृत्युके बाद--वह दिन जरूर आयेगा जब लोग कहेंगे कि जो हो, गांधीका कहना तो ठीक ही था।

अब सात बज चुके थे और रामचन्द्रन्की गाड़ी छूट चुकी थी, लेकिन उन्हें जो कुछ मिल चुका था वह उससे हजार गुना ज्यादा कीमती था। दूसरे दिन सुबह