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२२४. पत्र: लाला लाजपतरायको

२७-२८ अक्तूबर, १९२४[१]

प्रिय लालाजी,

आपने शायद इस २४ तारीखका 'मिलाप' पढ़ा होगा। इसमें एक लड़कीका बयान छपा है, जिसमें उसने अली भाइयोंपर अपराधका आरोप किया है। वह बयान मैंने मौलाना मुहम्मद अलीको दिखा दिया। उनके उत्तरकी एक नकल साथ भेज रहा हूँ। क्या आप इस अखबार के सम्पादकसे मिलकर यह पूछेंगे कि उनके पास इस बयानमें लगाये गये आरोपोंको सिद्ध करनेके लिए क्या और भी प्रमाण हैं? मेरे विचारसे उन्हें वक्तव्यको छापनेसे पहले उसकी एक नकल मौलाना साहबको भेज देनी चाहिए थी। मेरे विचारसे अब जो करना चाहिए वह यह है कि सम्पादक महोदय सम्बन्धित लोगोंसे इन आरोपोंको या तो सिद्ध करनेके लिए कहें या जहाँतक जरूरी हो वहाँतक उन्हें वापस ले लेनेको कहें। पंचोंके रूपमें बयानकी सचाई की जाँच करने दें तो हमें इस मामलेको अपने हाथमें ले लेना चाहिए। यदि यह बयान, अली भाइयों और दूसरोंपर लगाये गये आरोपोंको छोड़कर भी, अन्य बातोंमें काफी हदतक सही हो तो भी यह मामला ऐसा है जिसकी जाँचकी सुविधा दी जाये तो हमें अवश्य ही इसकी जाँच करनी चाहिए। अगर आप मुझसे सहमत हों और 'मिलाप' के सम्पादक हमारी सहायता करें तो मैं बोर्डके सदस्योंसे बातचीत करूँगा।

मैंने अपने और अपने साथियोंके लिए कोहाट जानेकी अनुमति माँगी है। यदि अनुमति मिल गई तो मैं पहली नवम्बरके आसपास यहाँसे रवाना होना चाहता हूँ। क्या आप चल सकते हैं? यदि आपका स्वास्थ्य इस योग्य न हो तो आप किसका नाम सुझाते हैं? यदि आपके आने से आपका स्वास्थ्य बिगड़ने की तनिक भी आशंका हो तो मैं नहीं चाहता कि आप आयें। मेरा अन्तर्मन तो कहता है कि मैं आपसे इस बातके लिए कहूँ ही नहीं, लेकिन चूँकि ऐसी खबर है कि आप इस समय पहलेसे ठीक हैं, इसलिए मुझे लगता है कि आपसे निवेदन तो कर ही दूँ।[२] दो-तीन दिन रावलपिंडीमें और इतने ही दिन कोहाट भी ठहरनेकी सोच रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

अंग्रेजी पत्र ( एस० एन० १५९३७ ) की फोटो-नकलसे।

  1. देखिए "पत्र: लाजपतराय को", २८-१०-१९२४।
  2. मूल वाक्यमें कुछ शब्द पढ़े नहीं जा सके हैं। उन्हें अनुमानसे यथास्थान भरकर इसका अनुवाद किया गया है।