पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 25.pdf/३२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२३२. पत्र: गंगाबहन वैद्यको

कार्तिक सुदी २ [ ३० अक्तूबर, १९२४ ][१]

पूज्य गंगाबहन,

मैं बराबर आपको लिखने की सोचता रहा, लेकिन लिख नहीं पाया। खोई हुई शक्ति प्राप्त करनेमें मैं इतना जुट गया हूँ। आपके दुःखमें पूरा हिस्सा बँटाना चाहता हूँ। आप जो ज्ञान और शक्ति प्राप्त करना चाहती हैं, उसमें पूरी मदद देनेकी मेरी इच्छा है। अधीर तो न ही हों। वातावरण अच्छा हो तो कुछ ज्ञान और शक्ति तो जाने-अनजाने, अनायास ही मिल जाती है। आपका समाचार चि० देवदास और चि० मगनलाल भेजते ही रहते हैं।

इस वर्ष आपकी सारी शुभेच्छाएँ पूरी हों, इसके लिए आपको मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद।

बापू

गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६०३९) से।

सौजन्य: गंगाबहन वैद्य


२३३. पत्र: देवदास गांधीको

कार्तिक सुदी २ [ ३० अक्तूबर, १९२४ ]

चि० देवदास,

स्वामीने शिकायत की है कि तुम अपने स्वास्थ्यका पूरा खयाल नहीं रखते। मैं चाहता हूँ, तुम शरीरकी सार-सँभाल करते हुए अपना काम करो। चिन्ता तो बिलकुल नहीं करना।

पूज्य गंगाबहनका पत्र दे देना। मन तो होता है कि बहुत लिखूँ, लेकिन जबतक शरीरकी खास सार-संभाल करनी है, तबतक ज्यादा तो लिख ही नहीं सकता। वाइसराय की ओरसे अस्वीकृति[२] आ गई है, इसलिए अगर मैं वहाँ तुरन्त पहुँच जाऊँ तो कोई आश्चर्य नहीं।

अब मेरा घूमने जानेका समय हो गया है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र ( जी० एन० २०४७ ) से।

  1. खोई हुई शक्तिकी पुनः प्राप्तिके उल्लेखसे प्रकट होता है कि पत्र सन् १९२४ में उपवासके बाद लिखा गया होगा।
  2. कोहाट जानेकी अनुमति माँगी थी, उसकी अस्वीकृति।